Kharmas 2025: खरमास क्यों रहता है क्या करना चाहिए इस माह में?
, सोमवार, 8 दिसंबर 2025 (16:20 IST)
खरमास क्या है और क्यों लगता है? खरमास एक ऐसा समय है जब सूर्य, देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु में या कभी-कभी मीन राशि में प्रवेश करते हैं। बता दें कि मीन संक्रांति के दौरान भी खरमास लगता है, जिसे मलमास कहते हैं।
1. खरमास का कारण, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक मान्यता:
ज्योतिषीय कारण/ देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव: ग्रहों के राजा सूर्य, जब धर्म, ज्ञान और शुभ कार्यों के कारक बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तो बृहस्पति की ऊर्जा अत्यधिक मजबूत हो जाती है, जिससे सूर्य की शक्ति कमजोर पड़ जाती है।
सूर्य को आत्मा और बृहस्पति को ज्ञान व शुभता का प्रतीक माना जाता है। जब राजा यानी सूर्य अपने गुरु बृहस्पति के घर में प्रवेश करता है, तो वह गुरु के सम्मान में तेजहीन हो जाता है। मान्यता है कि इस समय सूर्य धीमी गति से भ्रमण करते हैं, जिससे शुभ कार्यों को करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा और बल प्राप्त नहीं हो पाता।
वैज्ञानिक/व्यावहारिक कारण: खरमास अक्सर फसलों की कटाई के बाद या ठंड के मौसम में आता है। प्राचीन काल में, इस समय लोग कृषि कार्य से निवृत्त होते थे और विवाह आदि जैसे बड़े आयोजन करना व्यावहारिक रूप से कठिन होता था। इसलिए, इस समय को धार्मिक कार्यों और आराम के लिए अलग रखा जाता था।
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2. खरमास की अवधि: खरमास की अवधि लगभग 30 दिन की होती है। यह तब शुरू होता है जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे इसे धनु संक्रांति कहते हैं। यह आमतौर पर 14 या 15 दिसंबर के आसपास होता है। यह तब समाप्त होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसे मकर संक्रांति कहते हैं। यह आमतौर पर 14 या 15 जनवरी के आसपास होता है।
खरमास के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?, जानें वर्जित कार्य:
खरमास की अवधि को शुभ या मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है, इसलिए निम्न कार्य वर्जित होते हैं:
* विवाह संस्कार: विवाह जैसा शुभ बंधन इस दौरान नहीं किया जाता, क्योंकि माना जाता है कि इसमें सूर्य और गुरु का पूरा आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता।
* गृह प्रवेश: नए घर में प्रवेश या नया घर खरीदना शुभ नहीं माना जाता है।
* यज्ञोपवीत/जनेऊ संस्कार: इस दौरान यह संस्कार नहीं करना चाहिए।
* नए व्यापार का आरंभ: किसी भी नए व्यवसाय, दुकान या बड़े आर्थिक लेन-देन की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
* बड़े निर्माण कार्य: भवन निर्माण या कुआँ खुदवाना आदि जैसे बड़े कार्य शुरू नहीं किए जाते।
* मुंडन संस्कार: बाल काटने या छोटे बच्चों के मुंडन जैसे मांगलिक कार्य भी वर्जित हैं।
खरमास में क्या करना चाहिए?, जानें शुभ कार्य:
चूंकि खरमास का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से गुरु और सूर्य की पूजा के लिए समर्पित होता है, इसलिए यह समय धार्मिक कार्य और पूजा-पाठ, आत्म-शुद्धि, साधना और दान-पुण्य के लिए बहुत शुभ है:
- सूर्य उपासना: प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- भगवान विष्णु की पूजा: इस पूरे माह में भगवान विष्णु, जिनके गुरु बृहस्पति हैं की पूजा करना और सत्यनारायण कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- तीर्थ यात्रा: इस महीने तीर्थ यात्रा करना और पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यदायी माना गया है।
- तुलसी की पूजा: नियमित रूप से तुलसी के पौधे को जल दें और दीपक जलाएं।
- मंत्र जाप: अपने इष्टदेव के मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करें।
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