कृष्ण पक्ष की अष्टमी को क्यों कहते हैं कालाष्टमी?

WD Feature Desk
बुधवार, 19 फ़रवरी 2025 (15:15 IST)
Kalashtami Day: वैदिक पंचांग के अनुसार प्रतिमाह आने वाले कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के काल भैरव रूप की पूजा की जाती है। कालाष्टमी का बहुत अधिक धार्मिक महत्व माना गया है।ALSO READ: कौन सी नदी कहलाती है वृद्ध गंगा, जानिए धार्मिक और पौराणिक महत्व

हिन्दू कैलेंडर के मतानुसार पूर्णिमा तथा अमावस्या के बीच आने वाले हिस्से को कृष्ण पक्ष कहते हैं। अर्थात् पूर्णिमा के समापन के अगले दिन से कृष्ण पक्ष की शुरुआत होती है, जो अमावस्या तिथि तक यानि 15 दिनों तक जारी रहती है। और इस दौरान पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहते हैं। 
 
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान भैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव के उग्र रूप माने जाते हैं। इसी कारण कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की विधिपूर्वक पूजन करने से मनुष्‍य के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और हर बीमारी का नाश हो जाता है।ALSO READ: Tarot Card Predictions 2025: टैरो कार्ड राशिफल 2025, जानिए कैसा रहेगा मीन राशि का भविष्‍य
 
आइए जानते हैं कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहने के अन्य कई कारण भी हैं, जिनमें से कुछ निम्नानुसार हैं:
 
1. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे, जो भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। काल भैरव को 'काल' का प्रतीक माना जाता है, जो समय और मृत्यु के स्वामी हैं। इसलिए, इस तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है।
 
2. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को भय, संकट, रोग और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।
 
3. धार्मिक मान्यता के चलते हर माह आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अंधकार और नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होकर हमारे चारों तरफ तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए, इसे कालाष्टमी कहा जाता है।
 
4. कालाष्टमी शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, साहस और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
 
5. कालाष्टमी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन भगवान भैरव को समर्पित है और उनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। अत: इन कई महत्वपूर्ण कारणों से कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहा जाता है। अत: यह दिन भगवान भैरव की पूजा और आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।ALSO READ: महाशिवरात्रि 2025 : महाभारत के अर्जुन से जुड़ा है 1000 साल से भी ज्यादा पुराने दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर का इतिहास
 
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