अक्षय तृतीया : त्रेता युग का विलक्षण संयोग

फिर बन रहे हैं परशुराम के जन्म संयोग

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कहा जा रहा है कि इस बार अक्षय तृतीया बिलकुल उन्हीं संयोगों के बीच मनाई जाएगी, जिन संयोगों में भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। यानी अक्षय तृतीया पर्व पर वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, रोहणी नक्षत्र, सूर्य, चंद्र व शनि अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे।

इसी दिन राजयोग व रवि योग का संयोग भी बन रहा है।

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अक्षय तृतीया वैसे भी अक्षय फलदायक पर्व माना जाता है। इस बार ग्रहों का सुंदर संयोग पर्व का महत्व कई गुना बढ़ा रहा है।

भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जयंती वास्तविक संयोगों के बीच मनाई जा रही है।

मान्यतानुसार भगवान परशुराम का अवतरण वैशाख शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया तिथि, रोहणी नक्षत्र पर हुआ था।


उस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष, चंद्र अपनी उच्च राशि वृषभ एवं शनि अपनी उच्च राशि तुला में गोचर कर रहे थे। यही संयोग इस बार भी अक्षय तृतीया पर्व पर बन रहा है।

बुध एवं केतु मेष राशि में शनि के साथ व राहु तुला राशि में गोचर कर रहे हैं। अक्षय तृतीया पर्व पर ग्रहों का मूल संयोग में आना तथा 5 ग्रह सूर्य, बुध, केतु, शनि एवं राहु का सम्मिलन दिन की पवित्रता में लाखों गुना वृद्धि कर रहा है।



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