Dharma Sangrah

कैसा होगा कुंडली में गुरु का परिभ्रमण

कुंडली के 12 भाव और गुरु का विचरण

Webdunia
- सुरेंद्र बिल्लौरे
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चंद्र कुंडली के अनुसार जब गुरु परिभ्रमण करते हैं तो किस स्थान पर क्या परिणाम देते है एवं उनसे क्या लाभ या हानि होती है। आइए जानिए।

प्रथम भाव में- आर्थिक कष्ट, चिंताएं घेरती है, यात्रा होती है। साथ ही रिश्तेदारों से मनमुटाव होता है।

द्वितीय भाव में- घर में खुशी आती है। अविवाहित का विवाह होता है। गृहस्थी वाले के घर बच्चे का जन्म होता है। धन की प्राप्ति होती है, अर्थात् पूर्ण सुख मिलता है। इसी के साथ शत्रुओं का नाश होता है।

तृतीय भाव में- धन की कमी होती है। रिश्तेदारों से कटुता एवं कार्य में असफलता मिलती है। बीमारी का भय रहता है। यात्रा में नुकसान होता है। इसी के साथ स्थान परिवर्तन होता है।

चतुर्थ भाव में- जातक किसी मित्र या रिश्तेदार से अपमानित होता है। जातक का गलत कार्य के लिए मन विचलित होता है। चोरी का भय बना रहता है।

पंचम भाव में- राजकार्य में सफलता मिलती है। उच्च अधिकारियों से सम्मान मिलता है। जातक को नए पद की प्राप्ति होती है। संतान की प्राप्ति होती है। बेरोजगार को नौकरी मिलती है। घर में शुभ कार्य होता है। गुरु के पंचम भाव में रहने से जमीन-जायदाद एवं धन-वैभव विलासिता की वस्तुओं की खरीददारी होती है।

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षष्टम भाव में- घर में झगड़े होते हैं। रिश्तेदारों से मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न होती है एवं धन क‍ी हानि होती है।

सप्तम भाव में- परिवार में खुशी आती है। शादी व नए संबंध होते है। धन की प्राप्ति होती है। बहन सुख तथा बच्चे का जन्म होता है।

अष्टम भाव में- कई प्रकार के कष्ट देता है।

नवम भाव में- ज्ञान के साथ कार्य करने की दक्षता बढ़ती है।

दशम भाव में- बीमारी, धन हानि होती है। जायदाद का नुकसान होता है। स्थान परिवर्तन होता है अर्थात् जीवन कष्टमय हो जाता है।

एकादश भाव में- जीवन में खुशियां आती है। धन की प्राप्ति होती है। भूमिहीन को भूमि मिलती है। अविवाहित का विवाह होता है। गृहस्थी वाले के घर बच्चे का जन्म होता है।

द्वादश भाव में- कष्टप्रद जीवन होता है। मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक कष्ट होता है।

जब भी गुरु विपरीत परिणाम दें तो, गुरु शांति करना चाहिए। लक्ष्मी-नारायण मंदिर में गुरु का दान या किसी गुरु को दान दें।

गुरु का दान - पीला कपड़ा, चने की दाल, सोने की वस्तु, हल्दी की गांठ, पीला फूल, पुखराज, पुस्तक, शहद, शक्कर, भूमि, छाता जैसी सामग्री देना चाहिए।

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