इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सांसारिक ऐश्वर्य और संतान सुख प्राप्त होता है और उसकी सारी ऊपरी बाधाएं दूर होती हैं।
इसे धारण करने से व्यक्ति सभी प्रकार की धातुओं एवं रसायनों की सिद्धि का ज्ञाता हो जाता है।
प्राचीन वैदों के अनुसार अनुसार कामदेव को भी तेरहमुखी रुद्राक्ष का देवता माना गया है।
इसका प्रभाव शुक्र ग्रह के समान होता है। यह निःसंतान को संतति प्रदान करने वाला, सुख, शांति, सफलता एवं आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।
पंद्रहमुखी रूद्राक्ष विशेष रूप से नजर दोष और भूत बाधा से मुक्ति प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है।
बीसमुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने से भूत, पिशाच आदि का भय नहीं रहता। बीसमुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्रूर ग्रहों का अशुभ प्रभाव भी नहीं पड़ता है।
इसे पहनने वाले को सर्पादि विषधारी प्राणियों का भी भय नहीं होता है।