पौष मास रविवार व्रत : सूर्य को कैसे करें प्रसन्न

सूर्य यंत्र : कब व कैसे करें पूजन

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ज्योतिष विज्ञान के अनुसार सूर्य आत्मा का कारक होता है। करियर की उन्नति के लिए, राजकीय मान-सम्मान की प्राप्ति के लिए सूर्य का कुंडली में अनुकूल होना बेहद जरूरी है। सूर्य प्रतिकूल हो तो हर कार्य में असफलता नजर आती है। ऐसी स्थिति में सूर्य यंत्र की प्रतिष्ठा कर धारण करने से या पूजन करने से सूर्य का शीघ्र ही सकारात्मक फल प्राप्त होने लगता है। पौष मास के रविवार का शास्त्रों में अत्यधिक महत्व बताया गया है।

सूर्य यंत्र :
सूर्य यंत्र दो प्रकार के होते हैं। प्रथम नवग्रहों का एक ही यंत्र होता है दूसरा नवग्रहों का अलग-अलग पूजन यंत्र होता है। दोनों यंत्रों के एक जैसे ही लाभ होते हैं।

इस यंत्र को सामने रखकर नवग्रहों की उपासना करने से सभी प्रकार की आपदाएं नष्ट होती हैं। आरोग्य प्राप्त होता है। व्यापार आदि में सफलता मिलती है। समाज में यश-पद-प्रतिष्ठा-प्रगति प्राप्त होती है। शुभ कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है।

कैसे करें पूजन :
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सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्य यंत्र को सम्मुख रखकर विष्णु भगवान का पूजन या हरिवंश पुराण की कथा का आयोजन करना चाहिए।

पौष मास के रविवार को बिना नमक का भोजन ग्रहण करें। उस दिन सुबह से ही मुंह जूठा ना करें। ठीक बारह बजे जब सूर्य देवता शीर्ष पर हों तब शुद्ध ताजे बने चावल पर दूध डालें। उस पर आधा चम्मच शुद्ध घी डालें, सबसे ऊपर शकर रखें। इस भोग को सूर्य देवता को अर्पित करें। बाद में सूर्य यंत्र की पूजन के पश्चात इसे स्वयं ग्रहण करें।

मंत्र :
1 ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
2 ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3 ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

उपरोक्त मंत्रों में से जो मंत्र आसानी से याद हो जाए उसके द्वारा सूर्य देव का अर्चन करें। अपनी मनोकामना मन ही मन बोलें। पौष मास के प्रत्येक रविवार को इस प्रकार पूजन करने से अवश्य लाभ मिलता है। अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। यह अनुभूत प्रयोग है।

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