बलवान दशमेश बनाता है विश्वविख्यात...

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- महेन्द्र सिंह पंवार

Devendra SharmaND
जन्म कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव दशम भाव होता है। दशम भाव पिता, व्यापार, उच्च नौकरी, राजनीति, राजसुख, प्रतिष्ठा, विश्वविख्याति का कारक भाव माना जाता है। इसे कर्म भाव भी कहते हैं। जातक अपने कर्म से महान विख्यात एवं यशस्वी भी होता है और अपने पिता का नाम रोशन करने वाला भी होता है। यदि इस भाव का स्वामी बलवान होकर कहीं भी हो उस प्रकार से फल प्रदाता होता है।

दशमेश का मतलब होता है दशम भाव में जो भी राशि नंबर होगा, उस भाव के स्वामी को दशमेश कहा जाएगा। यथा दशम भाव में कुंभ यानी 11 नंबर लिखे होंगे तो उसका स्वामी शनि होगा। यदि इस भाव में 5 नंबर लिखा है तो सिंह राशि होगी, यदि 12 नंबर लिखा है तो मीन राशि होगी।

* लग्न का स्वामी और दशम भाव का स्वामी यदि एक साथ हों तो ऐसा जातक नौकरी में विशेष उन्नति पाता है।
* दशमेश के साथ शुक्र हो और द्वादश भाव में बुध हो तो वह जातक महात्मा, पुण्यात्मा होता है, लेकिन दशमेश व शुक्र केंद्र में होना चाहिए।
* दशम भाव का स्वामी केंद्र या त्रिकोण (पंचम, नवम भाव को कहते है) में हो तो वह जातक राजपत्रित अधिकारी होता है।
* दशम भाव में स्वराशिस्थ सूर्य पिता से धन लाभ दिलाता है।

* दशम भाव में मीन या धनु राशि हो और उसका स्वामी गुरु यदि त्रिकोण में हो तो वह सभी सुखों को पाने वाला होता है।
* दशम भाव का स्वामी उच्च का होकर कहीं भी हो तो वह अपने बल-पराक्रम से सभी कार्यों में सफलता पाता है।
* पंचम भाव में गुरु व दशम भाव में चंद्रमा शुभ स्थिति में हो तो वह जातक विवेकशील, बुद्धिमान व तपस्वी होता है।

* एकादश भाव का स्वामी दशम में व दशम भाव का स्वामी एकादश भाव में हो या नवम भाव का स्वामी दशम में और दशम भाव का स्वामी नवम भाव में हो तो ऐसा जातक लोकप्रिय, शासक यानी मंत्री या कलेक्टर भी हो सकता है।
* लग्न का स्वामी व दशम भाव का स्वामी बलवान यानी अपनी राशि में हो या उच्च राशि में हो तो वह जातक प्रतिष्ठित, विश्वविख्यात तथा यशस्वी होता है।
* दशम भाव में शुक्र-चंद्र की युति जातक को चिकित्सक बना देती है।

* कन्या या मीन लग्न हो और उसका स्वामी उच्च या अपनी राशि में हो तो वह जातक अपने द्वारा अर्जित धन से उत्तम कार्य करता हुआ संपूर्ण सुखों को भोगने वाला होता है।
* दशम भाव में उच्च का मंगल या स्वराशि का मंगल सप्तम भाव में मंत्री या पुलिस विभाग में उच्च पद दिलाता है।
* दशम भाव में उच्च का सूर्य कर्क लग्न में होगा तो उस जातक को धन, कुटुंब से परिपूर्ण बनाएगा व उच्च पदाधिकारी भी बनाएगा।

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