मकर संक्रांति और फल

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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संवत् 2064 शके 1929 सन् 2008 सोमवार पौष मासे शिशिर ऋतु सूर्य उत्तरायण शुक्ल पक्ष की षष्ठी को रात्रि 12.08 पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। संक्रांति का पुण्य काल मंगलवार को यानी 15 जनवरी को सूर्योदय से सूर्यास्त तक है।

इस बार गज वाहन, उपवाहन गर्दभ, वस्त्र लाल, तिलक गोरोचन, जाति पशु, पुष्प नीला, वय प्रौढ़ नक्षत्र दूध भूषण गोमेद भोजपत्र सीसा कंचुकी सफेद स्थिति बैठी हुई है व आयुध धनुष है।

सोमवार होने से आगमन दक्षिण से हुआ है व गमन उत्तर को मुख पश्चिम में दृष्‍टि ईशान में वारनाम ध्वांक्षी नक्षत्र नाम श्री पा फल मध्यम फल लक्ष्मी है। उत्तरा भाद्रपद होने से ब्राह्मण व विप्रजन के लिए उत्तम, सुखदायी है।
  संवत् 2064 शके 1929 सन् 2008 सोमवार पौष मासे शिशिर ऋतु सूर्य उत्तरायण शुक्ल पक्ष की षष्ठी को रात्रि 12.08 पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। संक्रांति का पुण्य काल मंगलवार को यानी 15 जनवरी को सूर्योदय से सूर्यास्त तक है।      


संक्रांति स्वरूप 60 योजन विस्तारवाली, लंबी नाक, नज हाथ, एक सिर पुरुषाकार, दाँत अंदर धँसते हुए, कठोर वचन बोलती वृक्षों के फल तोड़ती हुई, गाय दूध देती, काम सेवन करती दक्षिण से आ‍ती उत्तर में जाती पश्‍चिम में मुख होकर ईशान कोण को देखती है।

संक्रांति जो वस्तु धारण करती है, वह वस्तु महँगी होती हैं। 45 मुहूर्त होने से वर्षा मध्यम बताती है। विद्वानों, पंडितों, कर्मकाण्डी, ब्राह्मण, विप्रजनों हेतु ठीक है। मानसिक शांति देती है। रात्रि में मकर संक्रांति होने से चोर-उचक्कों के लिए कष्टकारी है। वाहन हाथी होने से हाथियों की संख्या कम होती है। गर्दभ उपवाहन होने से बड़े लाल वस्त्र धारण होने से लाल वस्तुएँ महँगी होंगी जैसे मसूर, तुवर दाल आदि।

दान हेतु यथाशक्ति अनुसार योग्य ब्राह्मण को दान दें। गाय को चारा खिलाएँ। तिल-तेल की मालिश कर स्नान करें। तिल मिश्रित जल से महादेवजी का अभिषेक करें। गरीबों को यथाशक्ति वस्त्र दान करना श्रेष्ठ रहेगा।

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