महाशिवरात्रि : दो दिवसीय शिव आराधना विशेष पर्व

10 वर्ष बाद महाशिवरात्रि व सोमवती का विशिष्ट संयोग

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भारतीय ज्योतिष शास्त्र व नक्षत्र की गणना के अनुसार 10 वर्ष के बाद इस बार दो महापर्वों का विशिष्ट संयोग बना है। 10 मार्च को महाशिवरात्रि तथा 11 मार्च को अमावस्या होने से यह दोनों ही दिन शिव आराधना के लिए श्रेष्ठ हैं।
 
शिव महापुराण के कोटिरुद्रसंहिता के अनुसार रविवार व सोमवार के अधिपति देव भगवान शिव हैं। अतः इन दिनों में की गई साधना-आराधना विशिष्ट फलदायी होती है।
 
जानिए विशेष संयोग को
 
महाशिवरात्रि : इस बार महाशिवरात्रि रविवार के दिन धनिष्ठा नक्षत्र व सिद्घि योग के साथ आ रही है। रविवार का दिन साधना के लिए श्रेष्ठ है। धनिष्ठा नक्षत्र में की गई साधना धन की प्राप्ति करवाती है। वहीं सिद्घ योग सुख-सौभाग्य की दृष्टि से महिलाओं के लिए शुभ फलदायी रहेगा।
 

10 अंक का विशिष्ट संयोग :-
 
इस वर्ष महाशिवरात्रि व सोमवती अमावस्या पंचाग के पांच अंगों के आधार पर विशिष्ट संयोग के साथ आ रही है। 2013 से पहले ऐसा संयोग 2003 में बना था। अगला संयोग ठीक 10 साल बाद 2023 में बनेगा। शिव आराधना के लिए दोनों ही दिन श्रेष्ठ हैं।

तांत्रिकों के लिए विशेष दिन:-
 
महाशिवरात्रि स्वयं सिद्घ मुहूर्त है। जिस प्रकार दीपावली व होली की रात्रि तंत्र साधना के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। उसी प्रकार शिवरात्रि को तंत्र साधना दृष्टि से सिद्घियों को देने वाली रात माना गया है। 'वैदिक तंत्र' तथा 'अघोर पंथी' इस रात्रि की प्रतिक्षा करते हैं।
 
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए हवनात्मक रूद्राभिषेक तथा शिव मह्मिनस्त्रोत, शिव कथा व रुद्र पाठ करना चाहिए।

सोमवती अमावस्या : अमावस्या सोमवार के दिन शततारका नक्षत्र व साध्य योग के साथ आएगी।
 
इस दिन तीर्थ स्नान व पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करने से घर में मनुष्य को सुख-समद्धि प्राप्त होती है। परिवार पर पितृ की कृपा बनी रहती है।

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