यात्रा से पहले जानें दिशाशूल

क्या होता है दिशाशूल

Webdunia
ND

दिशाशूल मूलत: किसी दिशा विशेष में दिन विशेष पर की जाने वाली यात्रा से संबंधित है। अगर किसी कारणवश उक्त दिशा में यात्रा करनी भी पड़े तो उसके निवारण के कुछ आसान से उपाय होते हैं। ‍जिन्हें जानकर यात्रा को निर्विघ्न बानाया जा सकता है।

इसे नीचे दिए गए उदाहरण से समझ सकते हैं :

पूर्व दिशा - सोमवार, शनिवार।

पश्चिम दिशा - रविवार, शुक्रवार।

दक्षिण दिशा - गुरुवार।

उत्तर दिशा - मंगलवार, बुधवार।

ND
दिशाओं के सामने दिए गए वारों में उक्त दिशा में दिशाशूल होता है। अतः उक्त दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। रविवार, गुरुवार, शुक्रवार के दोष रात्रि में प्रभावित नहीं होते हैं।

सोमवार, मंगलवार, शनिवार के दोष दिन में प्रभावी नहीं होते हैं। किंतु बुधवार तो हर प्रकार से त्याज्य है।

अत्यावश्यक होने पर रविवार को पान या घी खाकर, सोमवार को दर्पण देखकर या दूध पीकर, मंगल को गुड़, खाकर, बुधवार को धनिया या तिल खाकर, गुरुवार को जीरा या दही खाकर, शुक्रवार को दही पीकर और शनिवार को अदरक या उड़द खाकर प्रस्थान किया जा सकता है।

यदि एक दिन में गंतव्य स्थान पर पहुँचना और फिर वापस आना निश्चित हो तो दिशाशूल विचार की आवश्यकता नहीं है।
Show comments

ज़रूर पढ़ें

कृष्ण जन्माष्टमी पर इस तरह से करें बालमुकुंद की पूजा, मिलेगा फल

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध: कृष्ण लीला और जीवन दर्शन

जन्माष्टमी 15 या 16 अगस्त को, जानिए सही डेट क्या है?

16 अगस्त को होगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जानें क्यों और कैसे मनाएं?

सूर्य सिंह संक्रांति कब है, क्या है इसका महत्व, कर लें 5 अचूक उपाय

सभी देखें

नवीनतम

भविष्यवाणी: क्या फिर से होगा पहलगाम जैसा आतंकवादी हमला, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र, अमेरिका की चाल

कृष्ण जन्माष्टमी 15, 16 और 17 अगस्त 2025 तीनों दिनों में से कौनसी है सही डेट, पूजा का समय क्या है?

हलषष्ठी, ललही छठ कब है? इसे बलराम जयंती क्यों कहते हैं? जानें शुभ मुहूर्त

Aaj Ka Rashifal: आज इन 4 राशियों का आत्मविश्वास रहेगा चरम पर, जानें बाकी राशियों के लिए कैसा रहेगा 14 अगस्त का दिन

14 अगस्त 2025 : आपका जन्मदिन