रूप चतुर्दशी और दिवाली का अनोखा संयोग

सुबह रूप चौदस,शाम को दिवाली

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इस बार रूप चतुर्दशी और दिवाली का अनोखा संयोग बना है। तिथियों की घट-बढ़ के कारण 17 अक्टूबर को सुबह रूप चौदस और शाम को दीपावली मनेगी। ज्योतिषियों का कहना है कि दोनों पर्व एक साथ होने का संयोग 80 वर्षों बाद बना है।

17 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी है और इसी दिन दोपहर में अमावस्या शुरू हो जाएगी। इसी कारण शाम को महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। पं. रामकृष्ण डी. तिवारी ने बताया कि चतुर्दशी के दिन दोपहर में 12 बजकर 27 मिनट से अमावस्या शुरू होगी। इससे पहले तक रूप चौदस मनाई जाएगी। पं. ओम वशिष्ठ के अनुसार दोनों पर्व एक ही दिन हैं। इस तरह का संयोग दुर्लभ है। शनिवार 17 अक्टूबर को दोपहर में अमावस्या शुरू होगी। उन्होंने बताया शनिवार को हस्त नक्षत्र में दीपावली पूजन होगा।

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प्रदोष काल में करें महालक्ष्मी पूजन :- महाकाल ज्योतिष केंद्र उज्जैन के संचालक पं. कृपाशंकर व्यास ने बताया कि दीपावली पूजन प्रदोष काल में ही होता है और प्रदोष काल चतुर्दशी के दिन आ रहा है। इसलिए दीपावली भी इसी दिन मनाई जाएगी। प्रदोष काल 17 अक्टूबर को शाम 5.56 बजे से 7.08 बजे तक रहेगा। 18 अक्टूबर को अमावस्या है लेकिन प्रदोष काल नहीं होने से दीपावली पूजन एक दिन पहले ही करना होगा। उन्होंने बताया कि पिछले 80 वर्षों में दीपावली और चतुर्दशी का ऐसा संयोग देखने को नहीं मिला है।

शनिवार को पंचग्रही योग :- पं. व्यास के अनुसार दीपावली के दिन शनिवार को पंचग्रही योग बन रहा है। शुक्र, सूर्य, चंद्र, शनि और बुध पाँचों ग्रह कन्या राशि में रहेंगे जो शुभ नहीं माना जाता है। उन्होंने बताया कि दोपहर 11.20 बजे सूर्य अपनी नीच राशि तुला में प्रवेश करेगा और बुध अस्त हो जाएगा। इस प्रकार दीपावली पूजन के समय केवल शनि ग्रह दोषरहित रहेगा, बाकी ग्रह नीच राशि में भ्रमण करेंगे। यह शुभ योग नहीं है।

पुष्य नक्षत्र 12 को :- सोना, चाँदी खरीदी के लिए शुभ माना जाने वाला पुष्य नक्षत्र इस बार धनतेरस पर न आते हुए उससे पहले 12 अक्टूबर को आ रहा है। इस दिन सोमवार होने के कारण ज्योतिषियों का कहना है कि सोम पुष्य नक्षत्र खरीदी के लिए मिश्रित फलदायी माना जाता है।

ऐसा रहेगा दीप पर् व
15 अक्टूबर- धनतेरस।

16 अक्टूबर- कोई पर्व नहीं।

17 अक्टूबर- रूप चौदस, दीपावली।

18 अक्टूबर- अन्नकूट महोत्सव।

19 अक्टूबर- दोपहर बाद भाई दूज।

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