लव और सेक्स : एस्ट्रो की नजर से-5

धनु और मीन राशि के लिए

Webdunia
- भारती पंडित
 
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आज की इस कड़ी में हम बात करेंगे गुरु यानी बृहस्पति के स्वामित्व वाली राशियों की। गुरु के स्वामित्व में दो राशियाँ हैं- धनु और मीन। धनु राशि में गुरु के सारे गुण अपनी अच्छाई और कमजोरी के साथ प्रेजेंट रहते हैं। धनु राशि स्वभाव से सत्वगुणी राशि है और इस राशि के स्त्री-पुरुष बुद्धिमान, ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले और उच्च अभिलाषी होते हैं। प्रेम, सद्भावना, उदारता, संतोष और करुणा इनके विशेष गुण होते हैं। इनके प्रेम में भी उसी महानता की झलक दिखाई देती है।

धनु राशि के पुरुष को किसी मर्यादा में बाँध कर रखना मुश्किल होता है। ये पारिवारिक दायित्वों का निर्वाह बहुत ही कुशलता से करते हैं। परिवार से बेहद प्यार करते हैं। साथी का बहुत ध्यान रखते हैं। जीवन में उच्चता की ओर बढ़ने के प्रयास में लगे रहते हैं। इन्हें सामाजिक रहना बहुत प्रिय होता है। इनके फैले हुए सामाजिक दायरे के कारण साथी को कई बार बुरा लगता है। वह स्वयं को इग्नोर किया जाता सा महसूस कर सकता है।

इस राशि के पुरुषों में सात्विक प्रेम की अधिकता होती है। ये अपने संबंधों को मंदिर में रखी मूर्ति की तरह सुरक्षित और पवित्र रखना चाहते हैं। इस राशि के पुरुष अक्सर प्रेम विवाह करते हैं। अपने विशेष आभामंडल के कारण साथी का पूर्ण प्रेम ओर समर्पण इन्हें मिलता है। सेक्स के मामले में अच्छे साथी तो सिद्ध होते हैं, मगर बाद के दिनों में सेक्स की बजाय रोमांस या साथी से सात्विक प्रेम में इनकी रूचि बढ़ती जाती है। कुल मिलाकर इनकी लव ओर सेक्स लाइफ बैलेंस कही जा सकती है।

 
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धनु राशि की स्त्रियों में गुरु के सारे गुण तो रहते है, मगर अधिकता से अभिमान आ जाता है, जिसके चलते इनकी लव लाइफ डिस्टर्ब हो जाती है। ये भी अक्सर लव मैरिज करती है और अक्सर साथी का स्वभाव मैच न होने से परेशानी में पड़ती है। पुरुष राशि होने से साहस और परिश्रम की भावना अधिकता से रहती है और जिम्मेदारियाँ ओढ़ लेना भी इनका स्वभाव होता है। इसके कारण साथी अति लापरवाह होकर इन पर सारी जिम्मेदारी डाल कर निश्चिंत हो जाते हैं।

लव-लाइफ में खटास आने लगती है। सेक्स के मामले में ये अच्छी साथी सिद्ध होती है। पार्टनर की इच्छा का मान रखना चाहती है। कुछ वर्षों बाद प्रेम में कर्त्तव्यपूर्ति और सात्विकता की भावना आने लगती है और सेक्स का रुझान कम होने लगता है। यदि कुण्डली में कहीं गुरु-शनि या गुरु-केतु युति हो तो ऐसा होना निश्चित होता है और आध्यात्म और ईश्वर भक्ति जीवन में प्रमुखता लेने लगती है।

गुरु की दूसरी राशि है मीन। यह राशि प्रेम, करुणा, ममता और शांति से सराबोर होती है। इस राशि के पुरुष उदार, जागरुक, परोपकारी मगर शांत होते हैं। कभी भी क्रोध या आक्रामकता से काम नहीं करते अतः साथी के मामले में भी सुखी और संतुष्ट रहते हैं। परिस्थिति का रुख समझकर डिसीजन लेते है और सुखी रहते हैं। इस राशि के पुरुष अक्सर खोजबीन के बाद ही पत्नी पसंद करते है और उससे बेहद प्रेम करते हैं। गुरु के स्वभाव के कारण इस प्रेम में भी सात्विकता और डिटैच होने का गुण रहता है। जो कई बार छोटी-मोटी खटपट का कारण बन जाता है।

इन्हें लेन-देन का विशेष शौक नहीं होता और दिखावे से भी दूर रहते हैं। सेक्स के मामले में बैलेंस होते है और जीवन का आनंद लेते हैं। परिवार में रूचि लेते हैं और कर्त्तव्य-पालन को प्रधान मानते हैं।

मीन राशि की स्त्रियाँ अक्सर अति महत्वाकांक्षा या अपेक्षा के चलते असंतुष्ट रहती हैं। इन्हें बहुत कुछ पाने की अपेक्षा रहती है और गुरु के स्वभाव के कारण साथी में जरा-सी कमी भी इन्हें बर्दाश्त नहीं होती। जो वाद-विवाद का कारण बनती है और लव लाइफ खराब करती है। शिक्षण में इनकी रूचि होती है। सेक्स का रुझान पहले तो होता है मगर बाद में यह विरक्ति या उदासीनता में बदलने लगता है। धनु और मीन राशि के स्त्री और पुरुष बहुत अच्छे पेरेंट्स सिद्ध होते हैं और बच्चों का पालन संस्कारों के साथ करते हैं। इनके बच्चे योग्य होते हैं।

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