विक्रम संवत 2070 : कैसा होगा भविष्य

विक्रम संवत 2070 कैसा रहेगा हमारे लिए

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
कल्पादि से गत वर्ष 1972949114, सृष्टि संवत्‌ 1955885114, श्रीविक्रम संवत्‌ 2070, शक संवत्‌ 1935, श्रीकृष्ण जन्म संवत्‌ 5249, कलि-संवत्‌ 5114, सप्तर्षि-संवत्‌ 5089, श्री जैन महावीर निर्वाण संवत्‌ 2538-39, श्रीबुद्ध संवत्‌ 2636-37, हिजरी सन्‌ 1434-35, फलसी सन्‌ 1420-21, ईस्वी सन्‌ 2013-2014 ।

वर्षारंभ में गुरुमान से विष्णुविंशति का 'पराभव' नामक संवत्सर है। (यह विष्णुविशंति का अंतिम संवत्सर है।) इसका फल शास्त्रों में इस प्रकार लिखा है। पराभव नामक संवत्सर में शासक वर्ग, जिला प्रमुख, राज्य सरकार, न्यायाधीशों द्वारा आमजन परेशानी का अनुभव करेंगे।

अनेक प्रांतों में खाद्यान्य व पेयजल की कमी महसूस करेंगे।

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इस संवत्‌ का राजा (ग्रह परिषद् के प्रधान) गुरु, मत्री शनि, सस्येश चौमासी फसलों के स्वामी मंगल, धान्येश शीतकालीन फसलों के स्वामी सूर्य, मेघेश मौसमी फसलों के स्वामी शुक्र, रसेस गुड़-खांड, रसकस आदि के स्वामी गुरु, नीरसेस सर्वविध धातु व्यापार के स्वामी मंगल, फलेश फल-फूल आदि के स्वामी शुक्र, धनुश धन-दौलत के एवं खजाना के स्वामी चंद्र एवं दुर्गेश सुरक्षा एवं प्रतिरक्षा के स्वामी शुक्र हैं।


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राजा गुरु का फल- यदि वर्ष का राजा गुरु हो तो उस वर्ष सुख शांति रहती है व यज्ञ- उत्सव आदि शुभ कार्य की अधिकता रहेगी। जनता स्वस्थ रहेगी, शासक वर्ग नीतिगत फैसले लेंगे। खाद्यान्य का संकट ना रहेगा। कृषक वर्ग सुखी रहेगा। आमजनता सुखी रहती है।


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मंत्री शनि का फल- जिस सन्‌ में मंत्री शनि हो तो शासक वर्ग जनता विरोधी कार्य करने से आमजन में विरोधाभास रहेगा। वर्षा कहीं-कहीं कम होगी। कुछ लोग समृद्ध होंगे व कुछ इससे वंचित रहेगें।


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शस्येश मंगल का फ ल- मंगल जिस वर्ष में शस्येश हो तो उस वर्ष हाथी, घोड़ों, गधे, ऊंट, गौ आदि दुधारू पशुओं में रोग फैलने से हानि हो सकती है। वर्षा की कहीं-कहीं कमी होने से चारा न होगा। कहीं-कहीं खाद्यान्नों की भी कमी रहेगी।


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धान्येश सूर्य का फल- धान्येश सूर्य हो तो वर्षा की कमी रहती है। शीतकालीन फसलें जैसे मोठ-मूंग आदि दलहन, बाजरा एवं तिल आदि तिलहन में तेजी बनने से व्यापारी वर्ग को लाभ रहता है। शासक वर्ग में शक्ति परीक्षण से विरोध या तनाव भी रहता है।

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मेघेश शुक्र का फल- जिस वर्ष में मेघों का मालिक शुक्र हो तो धन-धान्य में वृद्धि होती है। राजकोषीय घाटा कम होने से कोष में वृद्धि हो। वर्षा उत्तम होने के संकेत भी हैं, जनता के हित के निर्णय सरकार लेती है।

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रसेश गुरु का फल- रसेश गुरु होने से सुख-समृद्धि होती है। गुड़-खांड, फल-फूल की बहार हो। सैन्य परीक्षण भी होते हैं।

नीरसेश मंगल का फल- नीरसेश मंगल होने से मूंगा, तांबा, लाल वस्त्र, लाल वस्तु, सोना आदि धातुओं में तेजी का रूख रहता है।

फलेश शुक्र का फल- शुक्र फलेश होने से पेड़ों व फल-फूलों की उत्पत्ति अधिक हो, शासक वर्ग सभी की भावनार्तंगत कार्य करें। आमजन भी नीतिगत रहेगा।
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धनेश चंद्र का फल- चंद्र के धनेश होने से रस-कस घी, गुड़, शर्करा आदि के व्यापार से लाभ होता है। वस्त्र, चावल, सुगंधित पदार्थ एवं घी आदि के व्यापार में वृद्धि होगी।। देशहितार्थ कानूनों का पालन होगा एवं टैक्स आदि का भुगतान भी होंगे।

दुर्गेश शुक्र का फल- जब दुर्गेश शुक्र हो तो जनता सुखी होंगी व नीतियुक्त वातावरण बनता है। सभी जगह शांति रहती है।

कुल मिलाकर यह वर्ष मिलाजुला रह कर सुखद ही कहा जा सकता है। परिवर्तन के संकेत भी है ।






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