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शनि जयंती पर ग्रहों का अदभुत संयोग

शनि मंत्र 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' का जप करें

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एक जून को शनि जयंती पर ग्रहों का इस बार अद्भुत योग बन रहा है। इस वर्ष शनि जयंती रोहिणी नक्षत्र में बुधवार के दिन होने से विशेष योग बन रहा है। इसमें सिंह, मिथुन और कुंभ राशियों को छोड़कर सभी राशियों के लिए लाभकारी योग बनेगा। भगवान सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव को खुश करने के लिए शनीचरी अमावस्या पर तिल, जौ और तेल का दान करने पर मनवांछित फल मिलता है।

ज्योतिषाचार्य हिंगे के अनुसार इस बार शनीचरी अमावस्या पर विशेष योग बन रहा है। उन्होंने बताया कि धर्मग्रंथों के अनुसार शनि की उत्पत्ति सूर्य की द्वितीय पत्नी छाया के गर्भ से हुई है। शनि के श्याम वर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि मेरा पुत्र नहीं है। तभी से शनि अपने पिता से शत्रुभाव रखता है।

शनिदेव ने अपनी साधना-तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्यदेव की भांति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने शनि को वरदान मांगने के लिए कहा, तब शनिदेव ने प्रार्थना की कि युगों-युगों से मेरी माता छाया की पराजय होती रही है।

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मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत ज्यादा अपमानित व प्रताड़ित किया गया है। अतः माता की इच्छा है कि मेरा पुत्र शनि अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने, तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान रहेगा।

मानव तो क्या देवता भी तुम्हारे नाम से भयभीत रहेंगे। आज के इस भौतिक युग में हर व्यक्ति किसी न किसी परेशानी से व्यथित रहता है। इसका मुख्य कारण ग्रह दोष होता है। ग्रह प्रतिकूल होने के कारण ऐसी परेशानियां आती हैं।

ऐसे करें दान
जिन राशियों के लिए शनि अशुभ है, वह खासकर इस अद्भुत योग पर शनि की पूजा करने से उन्हें शनि की कृपा प्राप्त होगी और अशुभ योगों को टाला जा सकता है। इसलिए शनि को तेल से अभिषेक करना चाहिए, सुगंधित इत्र, इमरती का भोग, नीला फूल चढ़ाने के साथ मंत्र के जाप से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिल सकती है। शनि की कृपा से ही धन, ऐश्वर्य प्राप्त होगा। शनि न्याय का देवता है।

एक जून को खंडग्रास ग्रहण पड़ेगा, जिसका प्रभाव भारत में नहीं होगा। यह ग्रहण एशिया, जापान, उत्तर ध्रुव में दिखाई देगा। सा थ ह ी वट अमावस्या का योग भी पड़ रहा है। सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत किया जाता है और वटवृक् ष की परिक्रमा लगाई जाती है।

रोहिणी नक्षत्र में पड़ने वाली शनि जयंती अनेक शुभ-संकेतों को साथ लेकर आ रही है। ज्योतिषी दीपक शर्मा के अनुसार इस दिन राजयोग के प्रबल कारक ग्रह शनिदेव की उपासना करने से जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होगी और सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होगी। इसी दिन शनि जयंती होने के कारण पीपल वृक्ष की भी पूजा की जाएगी।

पुष्य नक्षत्र और मकर कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव के न्याय के कारक हैं। इसलिए इस दिन गरीबों को दान करने से कई हजार गुना पुण्य की प्राप्ति होगी। कई वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष वट सावित्री अमावस्या एवं शनि देव जयंती की तिथि में रात 12:55 बजे से 4:37 बजे तक सूर्यग्रहण होगा, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा। सूर्यग्रहण एक सार्वभौमिक घटना है, इसलिए वट सावित्री अमावस्या एवं शनि देव की जयंती से संबंधित सभी पूजा-पाठ दोपहर तक पूरे कर ल ि ए जाए तो बेहतर होगा। सूर्यग्रहण के 12 घंटे पूर्व अर्थात दोपहर 12:55 से सूतक की शुरुआत हुई।

कैसे करें शनि पूज न
ज्योतिषाचार्य पं. राजकुमार शास्त्री के अनुसार, भगवान शनि को काले तिल, काले उड़द तथा आठ बादाम अर्पित करें व शनि मंत्र 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' का जप कर भगवान शनि की विशेष कृपा प्राप्त करें। जिन जातकों की राशि में शनि की साढ़ेसाती व अढ़ैया चल रही है, शनि जयंती का दिन उनके लिए कष्टों से मुक्ति के लिए विशेष है।

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