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रत्नों के भेद

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वैसे तो प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में आने वाले रत्न 84 प्रकार के हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। अतः आधुनिक युग में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं। रत्नों के नामों की सूची निम्न प्रकार है -
अजूबा- यह सफेद तथा खाकी रंग का व मृदु होता है तथा संगमरमर की ही एक जाति है।

अहवा- यह गुलाबी रंग का धब्बेदार तथा मृदु पत्थर होता है। इसे फर्श तथा खरल बनाने के काम में लिया जाता है।

अबरी- यह कृष्ण तथा पीत वर्ण का संगमरमर के सदृश पत्थर होता है।

अमलिया- यह कृष्ण रंग का होता है तथा इसमें गुलाबी रंग की आभा होती है।

अलेमानी- यह भूरे रंग का पत्थर होता है तथा इसके ऊपर कृष्ण वर्ण की पतली रेखा होती है।

उपल- यह कृष्ण, पीत, सफेद आदि अनेक रंगों का चमकदार व मृदु पत्थर होता है। इसमें लाल रंग के चमकते हुए सितारे भी दिखाई देते हैं, जिन्हें रत्न पोल कहते हैं।

उदाऊ - यह वैक्रान्त की जाति का पत्थर होता है।

कर्पिशमणि- यह भूरे तथा बादामी रंग का पत्थर होता है।

कसौटी- यह कृष्ण वर्ण का मुलायम पत्थर होता है तथा यह विशेष रूप से सोना परखने के काम आता है।

कटैला- यह बैंगनी रंग का पारदर्शी पत्थर होता है।

कांसला- यह मैलापन लिए सफेद रंग का तुरमसी जाति का पत्थर होता है।

कुरण्ड- यह पत्थर मैलापन लिए गुलाबी रंग का होता है। इसका औचारों की धार तेज करने वाला सान भी बनाया जाता है तथा यह रत्न भी घिसने के काम में आता है।

कुदरत- यह कृष्ण वर्ण का गुम पत्थर होता है तथा इस पर श्वेत पीत वर्ण के छोटे-छोटे धब्बे भी होते हैं।

गुदड़ी- यह सीमेंट-कंक्रीट की तरह पीत वर्ण का पत्थर होता है, इसका उपयोग फर्श बनाने के काम आता है।

गोदन्ती- यह औषधि में प्रयुक्त होने वाला सफेद रंग का पत्थर होता है।

गोमेद- यह लाल-पीला तथा कृष्ण रंग की आभा से युक्त रक्त वर्ण का पत्थर होता है।

गौरी- यह अकीक की तरह धारीदार तथा कठोर पत्थर होता है। इसके खरल बनाए जाते हैं।

चकमक- यह काले रंग का गुम पत्थर होता है। इस पर लोहा रगड़ने से आग की चिंगारी निकलती है।

चन्द्रकांत- यह पत्थर नीला, हरा तथा मैलापन लिए रंग का होता है।

चित्तो- यह काला-पीला तथा श्वेत रेखायुक्त होता है।

चुम्बक- यह कृष्ण वर्ण का, रुक्ष तथा गहरे लाल रंग का होता है। यह लोहे को आपनी ओर खींचता है।

जबरजद्द- यह हरे रंग का आभायुक्त मुलायम पत्थर होता है, इसे घृतमणि भी कहते हैं।

जहर मोहरा- यह हरे-पीले मिश्र वर्ण का होता है। इसका उपयोग औषधि हेतु तथा प्याले व खरल बनाने के काम में आता है।

जजेमानी- यह क्रीम रंग की रेखा से युक्त भूरे रंग का पत्थर होता है।

झरना- यह मिट्टी के वर्ण का गुम पत्थर होता है।

टेढ़ी- यह पत्थर कठोर तथा अपारदर्शी होता है।

डूर- यह गहरे कत्थई रंग का अपारदर्शी होता है।

तिलियर- यह पत्थर तिल के समान कृष्ण वर्ण का होता है।

तुरसावा- यह पत्थर नीले वर्ण का आभा लिए श्वेत हरे रंग का एवं लाल रंग का मुलायम हल्का और कांतियुक्त होता है।

तृणमणि- यह लाल तथा पीले रंग का मृदु व पारदर्शक होता है। यह एक विशेष प्रकार के वृक्ष का गोंद होता है। इसे कुछ लोग कहरुआ भी कहते हैं।

दाने फिरग- यह मैलापन लिए गहरे भूरे रंग का लहरदार व पारदर्शक पत्थर होता है।

दाँतला- यह चिकना पानीदार पारदर्शक श्वेत वर्ण का तथा तुरमली की तरह हरे रंग का होता है, इसका उपयोग दन्त रोगों में किया जाता है।

दारचना- यह कत्थई रंग का पीले तथा धूमिल रंग के छोटे-छोटे बिन्दुओं से युक्त होता है। इसका उपयोग खरल बनाने में होता है।

दूरनजफ- यह गुम तथा धानी रंग का पत्थर होता है, इसका उपयोग फर्श बनाने में होता है।

धुनला- यह धूम्रवर्ण का चमकदार व पारदर्शी पत्थर होता है। इस पत्थर को धूप के कीमती चश्मे व अनेकों प्रकार के नगीने बनाने के काम आता है।

नरम- यह लाल रंग का हल्के गुलाब की पत्ती के रंग की आभा से युक्त होता है। इसे 'लालड़ी' भी कहते हैं।

नीलोपल- यह गहरे नीले रंग का अपारदर्शी पत्थर होता है। इसमें कुछ सोने का भी अंश होता है। इसे राजावर्त, लाजवर्त, लाजवर्द भी कहते हैं।

नीलम- यह गहरे नीले रंग का, हल्के नीले रंग का पारदर्शी, चमकदार व लोचदार रत्न है।

पन्ना- यह रत्न हरे रंग का, हरा रंग लिए सफेद रंग का, नीम के पत्ती के रंग का, बिना तली का, लोचदार व पारदर्शी होता है, हरे रंग का पन्ना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

पनघन- यह हकीक जाति का पत्थर है तथा यह अनेक रंगों में प्राप्त होता है। इसका मध्य भाग खोखलापन लिए होता है, जिसमें सफेद रंग होता है। इसे खिलौने तथा मूर्तियों के निर्माण में उपयोग किया जाता है।

पारस- यह काले रंग का पत्थर है तथा यह दुर्लभ व बहुमूल्य होता है। आजकल प्रायः यह प्राप्त नहीं होता है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि पारस पत्थर से यदि लोहे को स्पर्श कराया जाए तो लोहा सोने में बदल जाता है।

पुखराज- यह रत्न पीले रंग, सफेद रंग तथा नीले रंगों में पाया जाता है।

फाते जहर- यह बर्फ के समान श्वेत रंग का पत्थर होता है। इसे जहरीले व्रण को ठीक करने में प्रयोग किया जाता है।

फीरोजा- यह आसमानी रंग का मृदु व चमकदार होता है।

बसरो- यह मटमैले रंग का गुम पत्थर होता है।

बांसी- यह काई के रंग के समान, मोटा पानीदार तथा मृदु होता है।

बेरुंज- यह पीत वर्ण का समुद्री पानी के समान कांति वाला या हरिताभ पत्थर होता है।

मरगज- यह हरे रंग का मृदु पत्थर होता है।

मकड़ी- यह हरे-काले रंग का पत्थर होता है। इसके अंदर मकड़ी के जाले के समान दिखाई देता है।

- यह पत्थर सफेद रंग का संगमरमर के समान होता है।
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