काष्ठ पर यदि पन्ना व पुखराज को रखा जाए तो पन्ना स्वयं दहकने लगता है। पुखराज सूर्य की भांति चमकने लगता है, परंतु यदि हीरे को काष्ठ पर रखा जाए तो उसमें स्वयं का तो कोई परिवर्तन नहीं होता है, परंतु वह काष्ठ अधिक श्वेत, अत्यधिक मनोहर, रवेदार व विशुद्ध दिखाई देता है।
हीरा विद्युत का कुचालक होता है। यह सतह पर रगड़ने से धन विद्युत का आवेश उत्पन्न करता है, परंतु हीरा ताप का सुचालक है, इसलिए यह स्पर्श में शीतल प्रतीत होता है।
हीरा जल जाता है। ऑक्सीजन गैस से परिपूर्ण शीशे के बर्तन में हीरा रखकर उस पर आतशी शीशे द्वारा सूर्य की किरणें केन्द्रित करने पर जलने लगता है। (इसे सर हम्फ्री डेवी ने सन् 1816 में जलाकर सिद्ध किया था।)
जो हीरा (पत्थर) आपके पास है, उसे परा-बैंगनी किरणों (अल्ट्रा-वॉयलेट) में देखने की कोशिश करें। अगर परा-बैंगनी किरणों में हीरे नीली आभा के साथ चमकेंगे, तो वे असली है। लेकिन अगर हीरे से हल्की पीली, हरी या फिर स्लेटी रंग की आभा निकले, तो समझ लीजिए कि ये मोइसानाइट है।
इसको परखने का एक और तरीका भी है। जहां असली हीरा पानी में डालते ही डूब जाता है, वहीं नकली हीरा पानी के ऊपर तैरता रहता है।
पर्याय नाम - हीरक, वज्र, भार्गव प्रिया, मणिवर, पवि, अभेद्य, कुलिष, विद्युत, अर्क, त्रिपुर। हिन्दी- हीरा, मराठी- छोटा हीनरा, बंगाली- हीरक, अरबी अलपास, अग्रेंजी- डायमंड।