उलूक मणि का क्या है रहस्य, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
मणियां कई प्रकार की होती हैं। उनमें से कुछ तो अब नहीं पाई जाती और कुछ का मिलना दुर्लभ और कुछ अभी भी पाई जाती है। प्रमुख मणियां 9 मानी जाती हैं- घृत मणि, तैल मणि, भीष्मक मणि, उपलक मणि, स्फटिक मणि, पारस मणि, उलूक मणि, लाजावर्त मणि, मासर मणि। आओ जानते हैं उलूक मणि का रहस्य।
 
 
उलूक मणि :
1. उलूक मणि के बारे में ऐसी कहावत है कि यह मणि उल्लू पक्षी के घोंसले में पाई जाती है। कहते हैं कि उल्लू इसके कहीं से ढूंढ कर अपने घोंसले में रखता है। 
 
2. माना जाता है कि इसका रंग मटमैला होता है। हालांकि अभी तक इसे किसी ने देखा नहीं है।
 
3. यह भी किंवदंती या अंधविश्वास है कि किसी अंधे व्यक्ति को यदि घोर अंधकार में ले जाकर द्वीप प्रज्वलित कर उसकी आंख से इस मणि को लगा दें 
 
तो उसे दिखाई देने लगता है। दरअसल यह नेत्र ज्योति बढ़ाने में लाभदायक है। हालांकि अभी तक इसे किसी ने देखा नहीं है प्रभाव का भी कोई मतलब नहीं निकलता है।
 
9 मणियों के बारे में मान्यताएं : 
* घृत मणि की माला धारण कराने से बच्चों को नजर से बचाया जा सकता है।
* इस मणि को धारण करने से कभी भी लक्ष्‍मी नहीं रूठती।
* तैल मणि को धारण करने से बल-पौरूष की वृद्धि होती है।
* भीष्मक मणि धन-धान्य वृद्धि में सहायक है।
* उपलक मणि को धारण करने वाला व्यक्ति भक्ति व योग को प्राप्त करता है।
* उलूक मणि को धारण करने से नेत्र रोग दूर हो जाते हैं।
* लाजावर्त मणि को धारण करने से बुद्धि में वृद्धि होती है।
* मासर मणि को धारण करने से पानी और अग्नि का प्रभाव कम होता है।

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