जानिए, क्यों पहना जाता है रत्न

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
हमारे जीवन में कभी ना कभी कठिनाई आती ही है, उस बुरे दौर से बचने के लिए उपाय किए जाते है।

हम किसी ज्योतिषी का सहारा लेकर उसके बताए रत्न को धारण करते हैं। ताकि हम पर आई मुसीबत टल जाए। बस इसलिए ही रत्न धारण करते हैं।

आपको पता है रत्न कब, किस मात्रा में व किस रंग का पहनना चाहिए?

हमारे शरीर में ओरा होती है, यह नौ रंगों से प्रभावित होती हैं। इन्हीं नौ रंगों का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। आपने वर्षा के दिनों में इंद्रधनुष आकाश मंडल में देखा होगा। वहीं रंग हमारे शरीर के इर्द-गिर्द होते हैं।


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जिन रंगों की अधिकता हो जाती है, तब उस रंग के गुणों की अधिकता होने से अनावश्यक ही बाधा आती है या फिर उस रंग की कमी से कार्य क्षमता में रूकावट आने से काम नहीं बनता या अति आत्मविश्वास से हमें कई बार लाभ की जगह नुकसान होता है।

रत्न भी गहरे रंग के, कुछ हल्के रंग के आते हैं। रत्नों में भी कुछ खास बात होती है, कुछ पारदर्शी तो कुछ हल्के पारदर्शी तो कुछ अपारदर्शी भी होते हैं।

एक अच्छा ज्योतिषी इन सब बातों को जानकर व आपकी पत्रिकानुसार ग्रहों की स्थिति जानकर व वर्तमान में ग्रहों की स्थिति, उनकी डिग्री को जानकर, कौन-सा रत्न व किस रंग का किस अनुपात में पहनना है यह बात वही जानता है। तभी रत्नों का सही लाभ पाया जा सकता है।

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मान लीजिए किसी को पुखराज पहनना है तो उस जातक को कितनी रश्मियों की जरूरत है व कितने समय के लिए उसको धारण करना है उस जातक की पत्रिका देखकर ही पता लगाया जा सकता है।

किसी को पीले रंग की ज्यादा जरूरत है, तो उसे गहरे पीले रंग का पुखराज पहनाने से लाभ होगा। किसी को पीला रंग कम चाहिए या संतुलन हेतु रत्न धारण कराना है, तो उसके हिसाब से रत्न पहनाने पर लाभ होगा।

इसी प्रकार अन्य रत्नों के रंगों के बारे में जानकर लाभ पाया जा सकता है। अब मोती को लें, मोती सफेद होता है व शीतलता का कारक है। किसी को सफेद रंग की आवश्यकता है तो उसे मोती पहनना चाहिए, लेकिन यदि उसे सफेद रंग की आवश्यकता तो है लेकिन ऊष्मा की आवश्यकता है, शीतलता की नहीं तो उसे सफेद मूंगा ही धारण करवाने पर अपेक्षित लाभ मिल सकेगा, ना की मोती से।

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