उत्तरा भाद्रपद

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
शनि के नक्षत्र मीन राशि में जन्मा स्वप्रयत्नों से सफल होगा

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उत्तरा भाद्रपद आकाश मंडल में 26वाँ नक्षत्र है। यह मीन राशि के अंतर्गत आता है। इस े दू, थ, झ नाम से जाना जाता है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी शनि है। वहीं राशि स्वामी गुरु है। शनि गुरु में शत्रुता है। कहीं इनका तालमेल व पंचधामेत्री चक्र में जिस जातक की कुंडली में मित्र का सम हो तो इसके शुभ परिणाम भी देखने को मिलते हैं।

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक सोच-विचार कर बोलने वाले, सुखी संतान, धर्म-कर्म में आस्थावान, उत्तम वक्ता, उदार हृदय के सम्माननीय भी होते हैं। शनि आध्यात्मवादी है तो गुरु का ज्ञान का कारक है। गुरु शनि का मेल धनु या मीन राशि में हो तो इसके शुभ परिणाम मिलेंगे।

धनु में गुरु शनि की युति आध्यात्मवादी लेकिन परिश्रमी भी बनाएगी। मीन में गुरु शनि के चंद्र होने से ऐसा जातक परम आध्यात्मवादी परोपकारी, ज्ञानवान, स्वप्रयत्नों से सफलता पाने वाला उपदेशक भी हो सकता है।

मेष लग् न में शनि की स्थिति मकर, कर्क, द्वितीय वृषभ में हो तो अनुकूल फलदायी रहेगा। गुरु की स्थिति नवम, द्वादश, लग्न, चतुर्थ में शुभ फलदायी रहेगा। ऐसा जातक भाग्यशाली, धनी, स्वस्थ, धर्म परायण, उत्तम गुणों वाला होगा।

वृषभ लग्न में शनि की स्थिति लग्न, तृतीय, षष्ठ, नवम भाव में अति शुभ फलदायी होकर उच्च स्तर तक पहुँचने वाले होंगे। गुरु यदि मीन, कर्क, सिंह का हो तो और अधिक शुभ फलदायी होगा। गुरु सप्तम, दशम, तृतीय, एकादश में हो तो उत्तम फल मिलेंगे। ऐसा जातक कठिन परिस्थितियों से उभरकर उत्तम सफलता पाने वाला होगा।

कर्क लग्न में शनि अकारक ही रहेगा यदि गुरु शुभ रहा तो उत्तम फल मिलेंगे।

सिंह लग्न में नक्षत्र स्वामी फलदायी रहेगा। ऐसे जातक शत्रुहंता, उत्तम आयु के होंगे।

कन्या लग्न में नक्षत्र स्वामी शनि लग्न, पंचम, नवम भाव में शुभ फलदायी रहेगा। गुरु चतुर्थ, सप्तम, तृतीय, एकादश में उत्तम फलदायी रहेगा। ऐसा जातक धनी, संतानवान, पत्नी से सुखी भाग्यशाली होगा।

तुला लग् न में शनि चतुर्थ पंचम, दशम ठीक रहेगा। राशि स्वामी गुरु एकादश, तृतीय, षष्ठ, दशम में शुभ फलदायी रहेगा। दशम में गुरु चतुर्थ में शनि हो तो ऐसा जातक महान कार्य करने वाला होगा। वृश्चिक लग्न में राशि स्वामी शनि अकारक ही रहेगा। फिर भी तृतीय, चतुर्थ भाव में ठीक-ठीक रहेगा। राशि स्वामी गुरु लग्न, पंचम, नवम, दशम में शुभ फलदायी रहेगा।

धनु लग् न में नक्षत्र स्वामी शनि एकादश व द्वितीय भाव में शुभ रहेगा। वहीं राशि स्वामी गुरु लग्न, पंचम, नवम, चतुर्थ में शुभ फलदायी रहेगा। ऐसा जातक धनी प्रशासनिक अधिकारी भी बन सकता है।

मकर लग् न में नक्षत्र स्वामी शनि लग्न, पंचम, नवम में शुभ फलदायी रहेगा। वहीं राशि स्वामी गुरु, तृतीय, एकादश, सप्तम, द्वादश में शुभ फलदायी रहेगा।

कुंभ लग् न में राशि स्वामी शनि नवम, लग्न, द्वादश में ठीक रहेगा, वहीं गुरु द्वितीय, तृतीय, षष्ठ, सप्तम, शम में उत्तमफलदायी रहेगा।

मीन लग् न में नक्षत्र स्वामी षष्ठ एकादश में ही शुभ फलदायी रहेगा। राशि स्वामी गुरु लग्न द्वितीय, पंचम, षष्ठ, नवम, दशम भाव में शुभ फलदायी रहेगा। इस प्रकार शनि यदि कुंडली में कारक हो तो ऐसेथिस्ट पहने व गुरु की स्थिति उत्तम हो तो पुखराज धारण करने से इसके शुभ परिणाम मिलेंगे।
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