वृभष राशि में कृत्तिका नक्षत्र के अंतिम 3 चरण होते हैं। इसमें ई, उ, ए जन्माक्षर होते हैं। नक्षत्र स्वामी सूर्य व राशि स्वामी शुक्र है। कृत्तिका के अंति म 3 चरणों में जिनका जन्म हुआ है। वे शुक्र व सूर्य से जीव न भर प्रभावित होत े रहेंगे। जन्म जिस लग्न में हो उसके स्वामी का भी इन ग्रहों से संबंध होने प र प्रभाव में अंतर आना स्वाभाविक है। सूर्य यदि शुभ होकर जन्म लग्न में कही ं भी हो रही राशि स्वाभाविक है।
सूर्य यदि शुभ होकर जन्म लग्न में कहीं भी ह ो, वहीं राशि स्वामी शुक्र की स्थिति शुभ हो तो वह जातक भाग्यशाल ी, विद्यावा न, पुत्रवा न, संपत्तिवा न, आकर्षक नाक नक्श वाला सुंदर होगा। शुक्र-सूर्य साथ होने पर वह जातक अत्यंत सुंदर व आकर्षक होगा। शुक्र लग्न में होकर स्वराशि य ा उच्च का ह ो, सूर्य शुभ स्थिति में हो तो वह जातक धन ी, सुंद र, स्वस्थ गुण ी होगा ।
मेष लग्न में शुक्र द्वादश भाव में हो व सूर्य लग्न पंचम व नवम भाव में हो त ो वह जातक धनी साहस ी, महत्वाकाँक्ष ी, भाग्यशाली धर्मनिष्ठ होकर विद्यावा न होगा। सूर्य यदि इसी लग्न में नीच तुला का हो तो और शुक्र सूर्य को देखता ह ो तो नीच भंग होने से वह जातक राज्य तुल्य भोग भोगने वाला सुंदर स्त्रीवान होगा । वृषभ लग्न में शुक्र-सूर्य साथ हो तो वह जातक साहसी उच्चाभिलाषी होक र विश्वविख्यात होता है। सूर्य चतुर्थ में हो व शुक्र इसी लग्न में हो तो वह जात क मात ा, भूम ि, भव न, वाह न, जनता से राज्य से स्वप्रयत्नों से लाभ पाने वाल ा होगा।
वृभष राशि में कृत्तिका नक्षत्र के अंतिम 3 चरण होते हैं। इसमें ई, उ, ए जन्माक्षर होते हैं। नक्षत्र स्वामी सूर्य व राशि स्वामी शुक्र है। कृत्तिका के अंतिम 3 चरणों में जिनका जन्म हुआ है। वे शुक्र व सूर्य से जीवन भर प्रभावित होते रहेंगे।
मिथुन लग्न में शुक्र दश म, पंचम या द्वादश भाव में हो व सूर्य चतुर् थ, सप्त म, दशम या एकादश भाव में हो तो वह जातक सभी सुखों को पाने वाला धन-संपत्त ि, दा न, विद्य ा, व्यापा र, पिता से लाभ पाने वाला होगा। विदेश यात्राएँ भ ी होती रहेंगी। पारिवारिक सुख पाने वाला और उसे गुणी पत्नी या पति मिलेगा। कर्क लग्न में शुक्र चतुर्थ में नवम का एकादश भाव में हो व सूर्य द्विती य, पंच म, नवम में हो तो विद्या उत्तम होती ह ै, ध न, कुटुंब वाणी से लाभ पाने वाला धनवान शेयर बाजार से लाभ पाने वाला होगा।
सिंह लग्न में सूर्य लग् न, नव म, पंचम में शुक्र दश म, तृतीय भाव में हो तो वह जातक राज्य कृपा से धनवान होगा। भाग्य धर्म में उत्तम सफलता पाने वाला होगा। लग्नेश व नक्षत्र स्वामी एक होने से वह जातक अत्यंत तेजस्वी स्वभाव का होगा। लग्न में सूर्य की स्थिति साहसी बनाती ह ै, वहीं शुक्र की स्थिति सुंदर बनाती है। या लग्न में शुक्र नव म, द्विती य, सप्तम में हो व सूर्य चतुर् थ, सप्त म, दश म, लग्न में होकर बुध के साथ हो तो वह जातक अनेक सुखों को पाने वाला उद्यम ी, उच्च प्रशासनिक सेवाओं से लाभ प्राप्त होने वाला होगा ।
कन्या लग्न वालों के लिए सूर्य नक्षत्र स्वामी द्वादश भाव में हो तो बाहरी संबंध उत्तम होंगे। लग्न में हो तो बाहर से लाभ मिलेगा। चतुर्थ में हो तो माता को कष्ट रहेग ा, लेकिन सुख उत्तम मिलेगा। सूर्य की स्थिति दशम में हो तो बाहर से व्यापा र, नौकरी आदि में लाभ मिलेगा। नक्षत्र स्वामी के साथ राशि स्वामी शुक्र नवम भाव में हो तो भाग्यशाली होकर धनी बनेगा। द्वितीय में हो तो वाणी उत्तम धन की बचत कुटुंब का सहयोग मिलेगा। सप्तम में हो तो धनाढ्य पत्नी या पति मिलेगा। सौंदर्य प्रसाधनों के व्यापार में लाभ मिलेगा। पंचम में हो तो विद्या उत्तम होगी व एकादश में हो तो भाग्य बल द्वारा धन मिलेगा। तुला लग्न में शुक्र लग्न में हो सूर्य एकादश भाव में हो तो वह स्वप्रयत्नों से लाभ पाने वाला होगा ।
वृश्चिक लग्न में सूर्य दश म, पंच म, एकादश भाव में या धन द्वितीय भाव में हो तो संता न, पिता व कुटुंब से लाभ पाने वाला होगा। इसमें यदि शुक्र व मंगल की शुभ स्थिति हो तो अति उत्तम फल मिलेगा। धनु लग्न में सूर्य लग् न, चतुर् थ, नवम या पंच म, एकादश या तृतीय भाव में हो तो उत्तम फलदायक होगा। यदि गुरु शुक्र की स्थिति भी शुभ हो तो सोने में सुहागा वाली होगी। मकर लग्न में सूर्य एकाद श, तृती य, नवम भाव में शुभ फल देग ा, वहीं शनि शुक्र की स्थिति शुभ हो तो फल दोगुना होगा।
कुंभ लग्न में सूर्य लग्न में दृष्ट हो शुक्र लग्न को देखता हो तो वह सुंदर होकर गुणी चंचल होगा। शत्रुहन्ता हो। पंचमेश सूर्य के साथ हो तो मनोरंजन के क्षेत्र में सफलता पाने वाला होगा। मीन लग्न में सूर्य की स्थिति षष्ट भाव में हो तो शत्रुओं का नाश होता है लग्न में हो प्रभावी होगा व नवम भाव में हो तो भाग्यशाली होगा। दशम भाव में हो तो व्यापार में स्वप्रयत्नों से लाभ पाने वाल ा, माया पक्ष से लाभ पाने वाला होगा।