ज्येष्ठा नक्षत्र : ज्येष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह बुध है और इस नक्षत्र के सभी 4 चरण वृश्चिक राशि में स्थित होते हैं जिसके कारण इस नक्षत्र पर बुध ग्रह सहित वृश्चिक राशि और इस राशि के स्वामी ग्रह मंगल का भी प्रभाव पड़ता है। ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म होने पर जातक की जन्म राशि वृश्चिक तथा राशि स्वामी मंगल, वर्ण ब्राह्मण, वश्य कीट, योनि मृग, महावैर योनि श्वास, गण देव तथा नाड़ी आदि हैं।
* प्रतीक : ताबीज, कान की बाली या छाता
* वृक्ष : चीड़ का पेड़
* रंग : क्रीम
* अक्षर : न और य
* देवता : इंद्र
* नक्षत्र स्वामी : बुध
* राशि स्वामी : मंगल
* शारीरिक गठन : शक्तिशाली शरीर
* भौतिक सुख : वाहन और भूमि का सुख
सकारात्मक पक्ष : इस नक्षत्र में जन्मे जातक यदि उत्तम चरित्र रखते हैं तो बहुत ही ऊंचाइयों पर जाते हैं। उदाहरण के लिए मुख्य प्रबंधक, सीईओ, कप्तान, कमांडर, लीडर आदि होते हैं। ये खान श्रमिक, इंजीनियर, पुलिस और रक्षाकर्मी भी हो सकते हैं। साहस, रहमदिल, परिश्रम, नेतृत्व शक्ति और समस्याओं को सुलझाने में माहिर। ये प्राथमिकता और अनुभव के आधार पर श्रेष्ठता हासिल करते हैं।
ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म हो तो जातक कवि, दानी पंडित, प्रधान, संतोषी, धर्मात्मा, कांतिमान, प्रतापी, यशस्वी, वैभवशाली, धनवान, प्रतिष्ठित, चतुर वक्ता, उपेक्षित लोगों से पूजित होता है।
नकारात्मक पक्ष : यदि बुध और मंगल खराब हैं तो ये अपने करीबी लोगों को धोखा देने वाले सिद्ध होते हैं। इनमें हठ और क्रोध है तो भाग्य बंद हो जाएगा और संघर्ष के रास्ते पर चलना होगा। ऐसा जातक अतिरंजनवादी अर्थात अतिशयोक्ति का प्रयोग करने वाला, गुस्सैल, तेज मिजाज वाला, अस्थिर मान्यता रखने वाला, अल्प मित्र समुदाय वाला तथा चरम सीमा पर खिन्न हो जाने वाला होता है।
प्रस्तुति : शताय ु