पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र : शुक्र को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का अधिपति ग्रह माना गया है जिसके चलते इस नक्षत्र पर शुक्र का प्रभाव भी पड़ता है। शुक्र का प्रभाव पड़ने से जातक प्रेम करने वाला तथा जीवन को जीने की कला जानने वाला होता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में स्थित होते हैं जिसके चलते इस नक्षत्र पर बृहस्पति का प्रभाव भी पड़ता है। बृहस्पति के कारण जातक महत्वाकांक्षी, आशावादी, प्रसन्नचित्त रहता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वर्ण से ब्राह्मण माना जाता है।
* प्रतीक : सूपड़ा, हाथी दांत या हाथ का पंखा
* रंग : काला
* अक्षर : ब और ज
* वृक्ष : सीता, अशोक का पेड़
* देव अप : (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता)
* नक्षत्र स्वामी : शुक्र
* राशि स्वामी : गुरु
* भौतिक सुख : स्त्री और भूमि, भवन सुख
* शारीरिक गठन : सुंदर चेहरा और कद-काठी सामान्य
सकारात्मक पक्ष : पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लोग निडर, आक्रामक और टकराने वाले होते हैं। ये भगवान से डरने वाले, विनम्र, ईमानदार और द्वेष और पाखंड से कोसों दूर होते हैं। इनकी धर्म-कर्म में रुचि होती हैं। पेशे से पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लोग शिपिंग, नौकायन, समुद्री जीवन और पानी की उपयोगिताओं से संबंधित कार्य करते हैं।
नकारात्मक पक्ष : कुंडली में गुरु और शुक्र की स्थिति सही नहीं है तो ऐसे जातक बुद्धि और आचरण खो बैठते हैं। ये बेहद जिद्दी होते हैं और अगर उकसाया जाए तो बहसबाजी पर उतारू हो सकते हैं। ये नफा-नुकसान के बारे में सोचे बिना निर्णय ले लेते हैं।
प्रस्तुति- शतायु