रेवती नक्षत्र

बुध के नक्षत्र रेवती में जन्मा प्रत्येक क्षेत्र में सफल

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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रेवती नक्षत्र आकाश मंडल में अंतिम नक्षत्र है। यह मीन राशि में आता है। इसे दे, दो, चा, ची के नाम से जाना जाता है। रेवती नक्षत्र का स्वामी बुध है। बुध बुद्धि का कारक होने के साथ इसे वणिक ग्रह माना गया है। राशि स्वामी गुरु है। गुरु बुध की युति जिस भाव में होगी वैसा फल देगा। बुध-गुरु की युति वाला जातक विवेकवान, वणिक, सफल अधिवक्ता, व्यापारी भी होता है।

मेष लग्न में नक्षत्र स्वामी बुध, तृतीय हो व गुरु नवम पंचम, लग्नमें हो तो ऐसे जातक स्वयं भाग्य के निर्माता होते हैं। ऐसे जातक धर्म-कर्म को मानने वाले, उत्तम वक्ता व मित्रों से लाभ पाने वाले होते हैं।

वृषभ लग् न में बुध, द्वितीय, पंचम, नवम, चतुर्थ में हो व गुरु एकादश, तृतीय, चतुर्थ, सप्तम में हो तो शुभ फलदायी होकर उस जातक को विद्वान संतान से प्रसिद्धि दिलाता है। स्वयं भी प्रतिभाशाली होता है।

मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी बुध लग्न, चतुर्थ, तृतीय, नवम में गुरु तृतीय, षष्ठ, एकादश, सप्तम, दशम भाव में हो तो ऐसा जातक पत्नी, राज्य, पराक्रम से उन्नति पाता है। ऐसा जातक राजनीतिक भी होता है।

कर्क लग्न में बुध, द्वादश, तृतीय, द्वितीय, दशम में गुरु लग्न, पंचम, नवम, दशम में हो तो ऐसा जातक भाग्यवान, प्रभावशील, विद्या, संतान से लाभ पाने वाला विदेशों से लाभ पाने वाला भाइयों से सुखी रहता है।

सिंह लग् न में नक्षत्र स्वामी बुध एकादश भाव में हो तो ऐसा जातक धन-धान्य से पूर्ण होता हैं। लग्न, द्वितीय भाव में शुभ फलदायी रहेगा। राशि स्वामी गुरु लग्न, पंचम, नवम, चतुर्थ, द्वादश में हो तो ऐसा जातक भाग्यशाली, विद्वान, प्रभावशील सुख-संपन्न वाला होगा।

कन्या लग्न में बुध लग्न में हो तो प्रभावी राजनेता या सफल व्यापारी होगा। दशम में पिता से लाभ पिता के कारोबार से लाभ होगा। द्वादश में हो तो विदेश से या जन्म स्थान से दूर लाभ मिलेगा। राशि स्वामी चतुर्थ, सप्तम, तृतीय, द्वादश, एकादश में हो तो अतिशुभफल मिलेंगे।

तुला लग् न में नक्षत्र स्वामी बुध नवम में भाग्यशाली, द्वादश में बाहर से लाभ व एकादश में हो तो शुभफल देगा। चतुर्थ में भूमि-भवन से लाभ देगा। गुरु द्वितीय, तृतीय, दशम, एकादश में ठीक रहेगा। वृश्चिक लग्न में बुध, एकादश, दशम, तृतीय चतुर्थ में उत्तम फल देगा, वहीं गुरु लग्न, पंचम, नवम, दशम द्वितीय में हो तो ऐसी स्थिति वाला जातक धनधान्य, भाग्य, राज्य, पिता, विद्या संतान आदि सुख से संपन्न होगा।

धनु लग्न में नक्षत्र स्वामी बुध दशम, सप्तम, नवम, द्वितीय भाव में अतिशुभ फलदायी होकर, पिता, नौकरी, राज्य, पत्नी, भाग्य, कुटुंब से लाभदायी होगा। राशि स्वामी गुरु लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम, द्वादश में शुभफलदायी रहेगा।

मकर लग् न में बुध नवम में भाग्यशाली लग्न में उत्तम फलदायी एकादश में भाग्य से लाभ दिलाएगा। वहीं राशि स्वामी गुरु, तृतीय, सप्तम एकादश, द्वादश में हो तो शुभफलदायी रहेगा।

कुंभ लग् न में नक्षत्र स्वामी बुध, लग्न, सप्तम, पंचम, द्वादश, दशम में शुभ परिणाम देगा। वहीं गुरु, द्वितीय, षष्ठ, सप्तम, दशम, एकादश में हो तो उत्तम लाभकारी रहेगा। ऐसा जातक विदेश से विद्या, राज्य व्यापार से उन्नति पाएगा।

मीन लग् न में नक्षत्र स्वामी बुध चतुर्थ, सप्तम, एकादश में उत्तम लाभदायक रहेगा। वहीं राशि स्वामी गुरु लग्न, पंचम, नवम, दशम में अनुकूल रहेगा। ऐसी स्थिति वाला जातक धर्म, धर्मपरायण, जनता, भूमि, भवन, माता, पत्नी, विद्या के बल से, संतान, भाग्यबल द्वारा लाभान्वित होगा। बुध की महादशा या गुरु की अंतरदशा में शुभ फल देगा।
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