स्वाति नक्षत्र : स्वाति का अर्थ झुंड में अग्रणी बकरी और दूसरा अर्थ पुरोहिती या पुजारी। वैदिक ज्योतिष के अनुसार स्वाति नक्षत्र के सभी चार चरण तुला राशि में स्थित होते हैं जिसके कारण इस नक्षत्र पर तुला राशि तथा इस राशि के स्वामी ग्रह शुक्र का भी प्रभाव पड़ता है।
* प्रतीक चिह्न : अंकुर या कोंपल
* रंग : काला
* अक्षर : र, ल
* वृक्ष : अर्जुन का पेड़
* नक्षत्र स्वामी : राहुल
* राशि स्वामी : शुक्र
* देवता : वायु और सरस्वती
* शारीरिक गठन : स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का डीलडोल भारी होता है। रंग गोरा और रूपवान होता है। पेट की बीमारी से ग्रस्त रह सकता है।
भौतिक सुख : भाग्यशाली होने के कारण भूमि और भवन का सुख, स्त्री सुख पूर्ण।
सकारात्मक पक्ष : स्वाति नक्षत्र में जन्म होने से जातक चतुर, लोकप्रिय, सुशील, व्यापारी, कृपालु, मधुर भाषी तथा देवताओं और ब्राह्मणों का भक्त होता है। इसके अलावा अतीन्द्रिय संवेदी, अंतर्ज्ञानी और धर्मशास्त्र के उस्ताद होते हैं।
नकारात्मक पक्ष : अधिकार के लिए ये बिलकुल सहिष्णु नहीं होते हैं। अड़ियल और घमंडी होने के कारण ये दूसरों की उन्नति से जलते रहेंगे। यदि इनमें सेक्स के प्रति अति उत्सुकता रही तो भाग्य साथ देना छोड़ देगा। शुक्र के खराब होने की स्थिति में भौतिक और स्त्री सुख जाता रहेगा। संगी-साथियों का प्रेमी, मदिरा आदि नशीली वस्तुओं का उपभोगी होता है।
- प्रस्तुति : शताय ु