जिस प्रकार लोक व्यवहार में एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी मील, कोस या किलोमीटर में नापी जाती है। उसी प्रकार आकाश मंडल की दूसरी नक्षत्रों से ज्ञात की जाती है।
आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। हम देखते हैं कि तारों के समूह से कहीं अश्व, कहीं शकट, सर्प आदि के आकार बन जाते हैं। ये आकृतियां ही नक्षत्र हैं।
ज्योतिष शास्त्र में समस्त आकाश मंडल को 27 भागों में विभक्त कर प्रत्येक भाग का नाम एक-एक नक्षत्र रखा गया है। सूक्ष्मता से समझाने के लिए प्रत्येक नक्षत्र के चार भाग किए गए हैं जो चरण कहलाते हैं।
सूर्य ने परिभ्रमण चक्र में चलते हुए अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश कर लिया है और सूर्य मेष राशि में परिभ्रमण कर रहा है।
आइए जानते हैं अश्विनी नक्षत्र के बारे में -
शास्त्रों के अनुसार अश्विनी नक्षत्र में जन्म होने से मनुष्य सुंदर स्वरूप, स्थूल शरीर, अति बुद्धिमान, अति प्रज्ञा वाला, नम्रता सहित, सत्ययुक्त, सेवाभावी, कार्यों में पटु, सर्वजन प्रिय, धनवान तथा भाग्यवान होता है।
ये धनवान तथा भाग्यवान, संपूर्ण प्रकार की संपत्तियों को प्राप्त करने वाला, स्त्री और आभूषण तथा पुत्रादि से संतोष प्राप्त करता है।
अश्विनी नक्षत्र में जन्म होने से जातक ईश्वर भक्त, चतुर, बुद्धिमानीपूर्ण कार्यों में प्रतिष्ठित, साम्यवादी, आभूषण एवं रत्नों का प्रेमी, जायदाद संबंधी मामलों से चिंताग्रस्त, क्रोधी, बड़े भाई न हों या भाई रोगग्रस्त हों, नेतृत्व प्रधान कार्यों में अभिरूचि, ज्योतिष, वैद्य, शास्त्रों में रुचि रखने वाले, भ्रमणप्रिय, चंचल प्रकृति तथा महत्वाकांक्षी विचारों के होते हैं।
अवकहड़ा चक्र के अनुसार जातक का वर्ण क्षत्रिय, वश्य चतुष्पद, योनि अश्व, महावैर योनि महिष, गण देव तथा नाड़ी आदि है। इस नक्षत्र में जन्म होने पर जन्म राशि मेष तथा राशि स्वामी मंगल होगा। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले का सुंदर स्वरूप, आकर्षक रूप रंग, स्थूल व मजबूत शरीर होता है।