उत्तरा फाल्गुनी

प्रथम चरण में जन्मा जातक राजनीतिज्ञ होगा

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
Devendra SharmaND
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र बारहवाँ हैं वहीं इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इसका प्रथम चरण सिंह राशि में आता है। अतः इस राशि वालों के सूर्य का दोहरा लाभ मिल जाता है। यह नाम से प्रथम चरण वाला उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र है।

सूर्य प्रधान जातक अत्यंत तेजस्वी स्वभाव वाले महत्वाकांक्षी जन-जन में प्रिय होते हैं। सूर्य प्रधान नक्षत्र सिंह राशि होने पर इनके जीवन पर सूर्य का प्रभाव अधिक होता है। ऐसे जातक यदि माणिक पहनें तो अपने जीवन में अधिक सफल होंगे। वहीं प्रातः सूर्य दर्शन कर सूर्य को अर्घ्य देना भी इनके लिए लाभकारी होगा।

सूर्य यदि जन्म पत्रिका में उच्च का होकर लग्न चतुर्थ पंचम नवम दशम एकादश भाव में हो तो उस भाव के प्रभाव को अधिक बढ़ा देगा। लग्न में होने से ऐसा जातक प्रभावशाली तेजस्वी स्वभाव का राजनेता या उच्च प्रशासनिक क्षमता वाला, उद्योगपति भी हो सकता है। ऐसे जातक विद्वान होते हैं।
  उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र बारहवाँ हैं वहीं इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इसका प्रथम चरण सिंह राशि में आता है। अतः इस राशि वालों के सूर्य का दोहरा लाभ मिल जाता है। यह नाम से प्रथम चरण वाला उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र है।      


संतान इनकी उत्तम गुणी होती है। लेकिन इनका दांपत्य जीवन कुछ ठीक नहीं रहता, ऐसे जातकों को माणिक नहीं पहनना चाहिए क्योंकि सूर्य बलवान होने पर और अधिक दांपत्य जीवन को बिगाड़ेगा। यदि ऐसे जातक का विवाह तुला राशि या तुला लग्न वाली लड़की से हो जाए तो अति उत्तम रहेगा।

चतुर्थ भाव में सूर्य हो तो ऐसे जातक जनता के बीच प्रसिद्ध होते हैं व स्थानीय राजनीति में सफलता पाते हैं, लेकिन पिता का सुख नहीं मिलता। माता से लाभ पाने वाले जनता भूमि भवन के मालिक होते हैं। पंचम भाव में उच्च का सूर्य हो तो विद्या उत्तम होगी लेकिन कभी-कभी आर्थिक संकट भी देखना पड़ेगा। चूँकि सूर्य का इस भाव में भाग्येश होता। भाग्य से इनका जीवन चलता रहेगा। ऐसे जातकों को सूर्य को दूध मिश्री मिला जल चढ़ाना चाहिए।

नवम भाव में उच्च का सूर्य हो तो ऐसे जातक उतम सफलता पाकर यशस्वी भाग्यशाली, प्रतिभावान, राजनीति का कई धार्मिक आयोजन करने वाले होते हैं, लेकिन भाइयों का सुख नहीं मिलता। मित्रों से हानि साझेदारी से बचना होगा। दशम भाव में उच्च का सूर्य पिता से व्यापार से लाभ कराता है। मकान का सुख भी देर से मिलता है। एकादश भाव में उच्च का सूर्य स्वप्रयत्नों से आय का लाभ होता है। विद्या में बाधा, संतान को कष्ट होता है।

सूर्य स्वराशि का लग्न, पंचम, एकादश, नवम, चतुर्थ भाव में उत्तम परिणाम देने वाला होता है। ऐसे जातक माणिक पंचम नवम लग्न में स्वराशि सूर्य होने पर पहन सकते हैं। धनु राशि के सूर्य मित्र का होगा, यदि गुरु के साथ हो तो ऐसे जातक प्रशासनिक क्षमतावान होते हैं। इनकी स्थिति लग्न, सप्तम, पंचम, नवम, दशम, चतुर्थ, एकादश भाव में ठीक रहती है।

मीन का सूर्य भी शुभ परिणाम देने वाला होता है। इसकी स्थिति भी उपरोक्तानुसार उत्तम रहेगी। सूर्य के साथ बुध का शुभ परिणाम मिलता है। वहीं सूर्य के साथ शनि भी ठीक रहेगा, लेकिन शुक्र राहु का होना अशुभ परिणाम वाला होगा। सूर्य यदि शनि की राशि में हो या तुला का नीच होकर बैठा हो तो शुभ परिणाम से वंचित कर देगा।

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