चित्रा नक्षत्र : चित्रा नक्षत्र के पहले दो चरणों में उत्पन्न जातक की जन्म राशि कन्या, राशि स्वामी बुध, अंतिम दो चरणों में जन्म होने पर जन्म राशि तुला तथा राशि स्वामी शुक्र, वर्ण वैश्य, वश्य नर, योनि व्याघ्र तथा नाड़ी मध्य है। यदि प्रथम दो चरणों में जन्म हुआ है तो जातक पर जीवनभर मंगल और बुध का असर रहेगा और यदि अंतिम चरणों में हुआ है तो जातक पर मंगल और शुक्र का प्रभाव बना रहेगा।
*प्रतीक चिह्न : सीप का मोती
*रंग : काला
*अक्षर : प, र
*वृक्ष : बेल का पेड़
*नक्षत्र स्वामी : मंगल
*राशि स्वामी : बुध और शुक्र
*देवता : विश्वकर्मा (त्वष्टा)
*शारीरिक गठन : चित्रा नक्षत्र में जन्म होने से जातक सुंदर नेत्र और शरीर वाला, चौड़े मस्तक वाला और बलिष्ठ शरीर वाला होता है।
भौतिक सुख : भूमि, पुत्र, स्त्री और धन का सुख रहेगा
सकारात्मक पक्ष : चित्रा में जन्म लेने वाला संतोषी, धनवान, देवताओं और ब्राह्मणों का भक्त होता है। चित्रा नक्षत्र के जन्म होने से जातक उच्चाभिलाषी, महत्वाकांक्षी, साहसी, साफ दृष्टियुक्त होता है। इस नक्षत्र के अंतर्गत जन्म लेने वाले लोग ऊर्जावान होते हैं। ये बुद्धिमान और शांतिप्रिय होते हैं। इनको जीवन में कई अवसर आते रहते हैं जिनसे भाग्य बदल सकता है।
नकारात्मक पक्ष : यदि मंगल, बुध या शुक्र की जन्म कुंडली में खराब स्थिति है, तो जातक दूसरे की स्त्री में अनुरक्त तथा शत्रुओं को संताप देने वाला होता है। थोड़ा-सा ही दुख सहने पर ये धोखेबाज और स्वार्थी बन जाते हैं। ये कुछ ऐसी बाते हैं जिनसे इनका भाग्य दुर्भाग्य में बदल सकता है।
- प्रस्तुति : शताय ु