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रो‍हिणी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का भविष्यफल...

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0 डिग्री से लेकर 360 डिग्री तक सारे नक्षत्रों का नामकरण इस प्रकार किया गया है- अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। 28वां नक्षत्र अभिजीत है। आइए जानते हैं, रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक कैसे होते हैं? नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर आने वाला नक्षत्र वृष राशि के 10 डिग्री-0'-1 से 23 डिग्री- 20'-0 के मध्य में स्थित है।

' रोहिणी' का अर्थ 'लाल' होता है। रोहिणी नक्षत्र आकाश मंडल में चौथा नक्षत्र है। राशि स्वामी शुक्र है और नक्षत्र स्वामी चन्द्रमा है। ज्योतिषियों के अनुसार यह 5 तारों का समूह है, जो धरती से किसी भूसा गाड़ी की तरह दिखाई देता है। भूसा गाड़ी जैसी आकृति का यह नक्षत्र फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है। यह कृत्तिका नक्षत्र के पूर्व में दक्षिण भाग में दिखता है। रोहिणी नक्षत्र में घी, दूध, रत्न का दान करने का नियम है।

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रोहिणी नक्षत्र : वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र के 4 चरण होते हैं। रोहिणी नक्षत्र में जन्म होने पर जन्म राशि वृष तथा राशि का स्वामी शुक्र, वर्ण वैश्य, वश्य चतुष्पद, योनि सर्प, महावैर योनि नेवला, गण मानव तथा नाड़ी अंत्य है। इस नक्षत्र का योग- सौभाग्य, जाति- स्त्री, स्वभाव से शुभ, वर्ण- शूद्र है और उसकी विंशोतरी दशा का स्वामी ग्रह चंद्र है।

प्रतीक : भूसा गाड़ी
*रंग : सफेद
*अक्षर : ओ, व
*वृक्ष : जामुन
*देव : प्रजापति ब्रह्मा
*नक्षत्र स्वामी : चन्द्रमा
*राशि स्वामी : शुक्र
*भौतिक सुख : स्त्री और वाहन सुख मिलेगा।
*शारीरिक रचना : इस नक्षत्र में जन्मे जातक देखने में सुंदर तथा आकर्षक आंखों वाले होते हैं।

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*सकारात्मक पक्ष : रोहिणी नक्षत्र में जन्म होने से जातक सत्यवक्ता, पवित्रात्मा, प्रिय वचन बोलने वाला, स्थिर बुद्धि, धनवान, कृतज्ञ, मेधावी, राजमान्य, संवेदनशील, सौम्य स्वभाव, ज्ञानयुक्त, शीलयुक्त, धर्म-कर्म में कुशल, सम्मोहक तथा सदा ही प्रगतिशील होता है। इसके अलावा प्राकृतिक सौंदर्य का प्रेमी, कला, नाट्य तथा संगीत में अभिरुचि, सार्वजनिक उत्सवों में भाग लेने वाला, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं सम्मान का इच्छुक, परोपकारी होता है। 36 के बाद बेहतरीन समय।

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*नकारात्मक पक्ष : यद‍ि शुक्र और चन्द्र खराब स्थिति में हैं तो ऐसा जातक दुर्बल शरीर, दूसरों की कमियों को उजागर करने वाला, भूत-प्रेत में विश्‍वास रखकर उन्हें साधने वाला होता है।

प्रस्तुति : शतायु
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