इस नक्षत्र का स्वामी राहु है, इसकी दशा में 18 वर्ष हैं व कुंभ राशि के अंतर्गत आता है। शतभिषा नक्षत्र में जन्म होने पर जन्म राशि कुंभ तथा राशि का स्वामी शनि, वर्ण शूद्र वश्य नर, योनि अश्व, महावैर योनि महिष, गण राक्षस तथा नाड़ी आदि हैं। ऐसे जातक पर राहु और शनि का प्रभाव रहता है।
प्रतीक : चक्र, वृत्त।
रंग : नीला।
वृक्ष : कदम्ब।
अक्षर : ग और ज।
देवता : वरुण।
नक्षत्र स्वामी : राहु।
राशि स्वामी : शनि।
शारीरिक गठन : सामान्य।
सकारात्मक पक्ष : यदि राहु और शनि का कुंडली में प्रभाव अच्छा है तो जातक रहस्यमय, दार्शनिक और वैज्ञानिक जैसे विचारों से संपन्न होकर उच्च सैद्धांतिक आचरण का होता है। इस नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं। शतभिषा नक्षत्र में जन्म होने से जातक साहसी, दाता, कठोर चित्त, चतुर, अल्पभोजी तथा कालज्ञ होता है। ऐसा जातक महत्वाकांक्षी, सात्विक जीवन जीने वाला सदाचारी, साधु-संतों का प्रेमी तथा धार्मिक होता है।
नकारात्मक पक्ष : राहु को शतभिषा नक्षत्र का शासक ग्रह माना है। खराब राहु को मिथ्याओं, रहस्यों तथा गुप्त ज्ञान तथा जादुई घटनाओं की ओर झुकाव करने वाला माना जाता है इसलिए राहु ग्रह का प्रभाव यदि ठीक नहीं है तो जातक फालतू की विद्याओं के चक्कर में जीवन खराब कर लेता है।
ऐसा जातक व्यसनयुक्त, बिना विचारे काम करने वाला, किसी के वश में न होने वाला तथा शत्रुओं को जीतने वाला होता है। साथ ही जातक कृपण, परस्त्रीगामी तथा विदेश में रहने की कामना करने वाला भी होता है। इस तरह के स्वभाव के चलते वह कभी अपने परिजनों को सुख नहीं देता।
- प्रस्तुति : शताय ु
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