कैसा है राहु ग्रह

राहु ग्रह की ज्योतिषिय व्याख्या

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शास्त्रोक्त मतः राहु दैत्यराज हिरण्यकश्यप की पुत्री सिंहिका का पुत्र माना जाता है। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद में दैत्यगुरु के रूप में इनका उल्लेख मिलता है। अमृत वितरण के समय दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने गुप्तचर के रूप में इन्हें देवसभा में भेजा था।

जहां भगवान शिव की कृपा से ये भगवान विष्णु के मोहनी रूप को समझ गए। तत्पश्चात देव बनकर भगवान विष्णु से अमृत पान कर अमर हो गया।

एक बार सूर्य और चंद्र द्वारा शिकायत करने पर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से इसका धड़ सिर से अलग कर दिया। फलस्वरूप धड़ केतु तथा सिर राहु कहलाया। घोर तपस्या के पश्चात बह्माजी ने इन्हें आकाश मंडल में जगह दी।

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तत्व प्रकृति रंग :
* यह ग्रह वायु तत्व म्लेच्छ प्रकृति तथा नीले रंग पर अपना विशेष अधिकार रखता है।

* जानवरों में हाथी, बिल्ली व सर्प पर राहु ग्रह का विशेष प्रभाव माना गया है।

* धातुओं में कोयले पर राहु का अधिकार होता है।

* राहु को नीले फूल प्रिय हैं।

* सरस्वती इनकी ईष्ट देवी है।

* ध्वनि तरंगों पर राहु का विशेष अधिकार है।

* शरीर में कान, जिह्वा, समस्त सिर तथा गले में राहु का विशेष प्रभाव रहता है।

* सोच-विचार, कपट, झूठ चोर-बाजारी, स्वप्न, पशु मैथुन आदि क्रियाओं को यह संचालित करता है।

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