नेपच्यून और पृथ्वी कुंभ राशि में

नेपच्यून और पृथ्वी कर रहे हैं कुंभ राशि में भ्रमण

Webdunia
- डॉ. राजेन्द्र सक्सेना
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इस समय पृथ्वी कुंभ राशि में भ्रमण कर रही है, जहां सौरमंडल का आठवां और अंतिम ग्रह नेपच्यून पहले से ही वक्री भ्रमण कर रहा है। वास्तव में नेपच्यून सूर्य की एक परिक्रमा 164.80 वर्ष में पूरी करता है। जो कुछ दिन पहले ही पूरी हो चुकी है, किंतु खोज की दृष्टि से 23 सितंबर 2011 को इसका एक कैलेंडर वर्ष पूरा हो गया।

दरअसल नेपच्यून की खोज 23 सितंबर 1846 की रात्रि को जर्मन खगोलविद् योहन्ना गाल्ले ने सर्वप्रथम दूरबीन से देखकर की। इससे पहले 1845 में ब्रिटेन के छात्र एडम्स ने तथा 1846 में फ्रांस के खगोलविद् उरबई लवेरिए ने गणितीय गणना के आधार पर यूरेनस से परे किसी अज्ञात पिंड की कक्षा की स्थिति का पता लगा लिया था, किंतु दूरबीन उपलब्ध न होने से वे इस पिंड को देख नहीं सके।

लवेरिए ने जर्मनी के अपने मित्र गाल्ले को पत्र लिखा। इस प्रकार बिना परिश्रम के गाल्ले को नेपच्यून ग्रह को खोजने का श्रेय प्राप्त हो गया। नेपच्यून की खोज से सारे योरप में तहलका मच गया। लवेरिए ने ही पत्र द्वारा गाल्ले को नेपच्यून की स्थिति की सूचना दी थी।

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रोमन और यूनानी आख्यानों में नेपच्यून को समुद्र (जल) का देवता माना गया। भारत में भी इसे जल का देवता 'वरुण' माना जाता है।

ज्योतिष के अनुसार नेपच्यून जलीय राशि मीन का स्वामी है। इस समय यह जलीय ग्रह कुंभ राशि में वक्री भ्रमण कर रहा है। कदाचित इसलिए पृथ्वी पर अतिवृष्टि और समुद्री जलस्तर में वृद्धि हो रही है, क्योंकि दोनों ही नील ग्रह कहलाते हैं। पृथ्वी के अनेक भागों में समुद्री चक्रवाती तूफान भी उठ रहे हैं, क्योंकि यह पृथ्वी के जलीय तत्वों को प्रभावित करता है।

पाश्चात्य ज्योतिष के अनुसार नेपच्यून एक शांत और बृहस्पति तथा चंद्रमा की तरह मंगलकारी ग्रह है। यह एक सामर्थ्यवान ग्रह है, जो 133/4 वर्ष अधिक दूर है।

प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से अपदस्थ करने के बाद अब यह सौरमंडल का अंतिम ग्रह है। इसका व्यास 49,000 किलोमीटर है, जो पृथ्वी के व्यास से 3.5 गुना अधिक है। यह अपनी धूरी पर 29 डिग्री झुका हुआ 16 घंटे 11 मिनट में एक बार घूम जाता है। अपनी कक्षा में 5.48 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से 164.80 वर्ष में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है।

आकार में यह सौरमंडल का चौथा बड़ा गैसीय ग्रह है। इसके वायुमंडल में हाईड्रोजन (80 प्रतिशत), हीलियम (19 प्रतिशत), मिथेन (1 प्रतिशत) गैसें पाई जाती हैं, जिनके कारण यह नीले रंग का दिखाई देता है। इसके आठ उपग्रह और आसपास हल्के वलय पाए जाते हैं। इसका तापमान शून्य से नीचे 197 डिग्री से. है। इस ग्रह पर 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हरिकेन आंधियां चलती हैं। इस पर काला बैंगनी और सफेद धब्बा भी देखा गया, जो एक रहस्य बना हुआ है।

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