मेष लग्न: सिंह राशि पर साढ़ेसाती-5

प्रभाव व बचाव जानें

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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मेष लग्न व सिंह राशि पर शनि की प्रथम साढ़ेसाती कर्क पर शनि के आते ही प्रारम्भ हो जाती है। शनि की प्रथम साढ़ेसाती कर्क पर सम होने से मध्यम ठीक रहती है। माता की उम्र में वृद्धि होती है वहीं कुछ महत्वपूर्ण कार्य भी सफल होते हैं, जनता से सबंधित कार्यों में भी सुधार के साथ काम बनते हैं। राज्य, पिता से अधिकारी वर्ग से भी काम बनते है। शत्रु पक्ष पर प्रभाव बना रहता है। स्वास्थ्य के मामलों में सावधानी रखकर चलना चाहिए। परिश्रम अधिक होता है।

शनि की दूसरी ढैया पेट पर सिंह राशिस्थ शनि के होने से होगी। इस अवस्था में सन्तान को कष्ट, विद्यार्थी वर्ग को कड़ी मेहनत करने पर ही सफलता मिलती है। अनावश्यक मानसिक परेशानी रहती है, अगर विवाहित है तो अपने जीवन साथी से सहयोग व सांत्वना मिलने से बोझ कम लगता है। बेरोजगार रोजगार हेतु परेशान रहते हैं। आय के मामलों में जरूर राहत मिलती है।

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ऐसा जातक अपनी वाणी से कुछ लाभ पाने में समर्थ होता है। कुटुम्ब के व्यक्तियों का सहयोग मिलता है। शनि की उतरती साढ़ेसाती षष्ट भाव पर कन्या राशि पर होने से शत्रु पक्ष पर प्रभाव रहता है व मामा का सहयोग भी मिलता है। चौपायों, कृषि के कार्य से भी लाभ रहता है। शनि की तृतीय दृष्टि अष्टम भाव पर होने से चोटादि लगने की संभावना रहती है। ऐसे समय वाहनादि सावधानी से चलाना चाहिए।

शनि की द्वादश भाव पर सप्तम दृष्टि सम पड़ने से बाहरी सम्पर्क से लाभ रहता है। छोटी-मोटी यात्रा भी होती रहती है। शनि की दशम दृष्टि धन कुटुम्ब भाव द्वितीय पर मित्र दृष्टि पड़ने से धन की बचत के योग भी बनते हैं। वाणी प्रभावशील रहती है।

यदि किसी को अशुभ प्रभाव मिलते हों तो वे जातक चाहे स्त्री हों या पुरुष उन्हें काले सुरमे की शीशी अपने ऊपर से नौ बार उतार कर कहीं एकांत में गाड़ देना चाहिए व किसी बुजुर्ग माँगने वाले को एक बार उपयोग किया हुआ काला कम्बल दे दें। प्रति शनिवार सरसों का तेल स्टील की कटोरी में लेकर अपना मुँह देखकर दान दें व शनि दर्शन से बचें।
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