Festival Posters

अगर प्रसन्न होंगे राहु-केतु तो देंगे जीवन के सारे सुख, जानिए कैसे?

Webdunia
* राहु-केतु और कालसर्प योग, जानिए क्या है इनका संबंध
 
वेद के अध्ययन पर विचार करें, तो राहु का अधिदेवता काल और प्रति अधिदेवता सर्प है, जबकि केतु का अधिदेवता चित्रगुप्त एवं प्रति के अधिदेवता ब्रह्माजी है। राहु का दायां भाग काल एवं बायां भाग सर्प है। इसीलिए राहु से केतु की ओर कालसर्प योग बनता है। केतु से राहु की ओर से कालसर्प नहीं बनता है। राहु एवं केतु की गति वाम मार्गी होने से स्पष्ट होता है, कि सर्प अपने बांई ओर ही मुड़ता है, वह दाई ओर कभी नहीं मुड़ता। 
 
प्रत्येक जातक की कुंडली में नौ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग स्थान पर विराजमान होती है। राहु-केतु भी प्रत्येक की कुंडली में विराजमान रहते है। जातक की कुंडली में जब सारे ग्रह राहु और केतु के मध्य में आ जाए, तब कालसर्प होता है। राहु एवं केतु सर्प ही है और सर्प के मुंह में जहर ही होता है। 
 
जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प होता है, उनके जीवन में असहनीय पीड़ा होती है। कई कालसर्प योग वाले जातक असहनीय पीड़ा झेल रहे है और कुछ जातक समृद्धि प्राप्त कर आनंद की जिंदगी जी रहे है। 
 
जब प्रसन्न हो राहु-केतु : इससे यह सिद्ध होता है कि राहु-केतु जिस पर प्रसन्न है, उसको संसार के सारे सुख सहज में दिला देते है एवं इसके विपरीत राहु-केतु (सर्प) क्रोधित हो जाए, तो मृत्यु या मृत्यु समान कष्ट देते हैं। सृष्टि का विधान रहा है, जिसने भी जन्म लिया है, वह मृत्यु को प्राप्त होगा। मनुष्य भी उसी सृष्टि की रचना में है, अत: मृत्यु तो अवश्यभांवी है। उसे कोई नहीं टाल सकता है। परंतु मृत्यु तुल्य कष्ट ज्यादा दुखकारी है। 

ALSO READ: राहु से परेशान हैं तो करें ये 9 आसान उपाय...
 
क्या कहते हैं शास्त्र :- शास्त्रानुसार जो जातक अपने माता-पिता एवं पितरो की सच्चे मन से सेवा करते है, उन्हें कालसर्प योग अनुकूल प्रभाव देता है। जो उन्हें दुख देता है, कालसर्प योग उन्हें कष्ट अवश्य देता है। कालसर्प के कष्ट को दूर करने के लिए कालसर्प की शांति अवश्य करना चाहिए एवं शिव आराधना करना चाहिए। 
 
अगले जन्म में कालसर्प के लक्षण : योग जो व्यक्ति आर्थिक संपन्नता के मद में चूर हो जाता है। जिसके कारण वह माता-पिता अपने आश्रित भाई, बहन का सम्मान करके नहीं, बल्कि अपनी सेवा करवाकर खुश रहना चाहता है एवं उन्हें मानसिक रूप से दुखी करता है। उसी के प्रभाव के कारण उसे अगले जन्म में कालसर्प होता है। 

ALSO READ: जब असुर और ग्रह नहीं है तो कौन हैं राहु और केतु, जानिए

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Shani ka gochar: दशहरे के ठीक 1 दिन बाद होगा शनि का नक्षत्र परिवर्तन, 3 अक्टूबर से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन

Solar Eclipse 2026: वर्ष 2026 में कब होगा सूर्य ग्रहण, कहां नजर आएगा और क्या होगा इसका समय?

Sharad purnima 2025: कब है शरद पूर्णिमा, क्या करते हैं इस दिन?

karva cahuth 2025: करवा चौथ पर छन्नी से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा, इस दिन क्यों सीधे नहीं देखना चाहिए चंद्रमा

मासिक धर्म के चौथे दिन पूजा करना उचित है या नहीं?

सभी देखें

नवीनतम

Monthly Horoscope October 2025: अक्टूबर माह में, त्योहारों के बीच कौन सी राशि होगी मालामाल?

Diwali 2025 date: दिवाली कब है वर्ष 2025 में, एक बार‍ फिर कन्फ्यूजन 20 या 21 अक्टूबर?

मासिक धर्म के चौथे दिन पूजा करना उचित है या नहीं?

Solar Eclipse 2026: वर्ष 2026 में कब होगा सूर्य ग्रहण, कहां नजर आएगा और क्या होगा इसका समय?

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (03 अक्टूबर, 2025)

अगला लेख