राहु ग्रह से डरने के बजाय बेहतर है कि उन्हें कुंडली में अनुकूल बनाने के प्रयास किए जाए... आइए जानें मंत्र और उपाय
एकाक्षरी बीज मंत्र- 'ॐ रां राहवे नम:।'
तांत्रिक मंत्र- 'ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।'
जप संख्या- 28,000 (28 हजार)।
(कलियुग में 4 गुना जाप एवं दशांश हवन का विधान है।)
दान सामग्री- नीला वस्त्र, काले तिल, कंबल, सूप, तेल से भरा ताम्रपात्र, लोहा, सप्त धान्य, अभ्रक, गोमेद, खड्ग।
(उक्त सामग्री को वस्त्र में बांधकर उसकी पोटली बनाएं। उसे सूप में रखें तत्पश्चात उसे किसी शूद्र को दान करें अथवा बहते जल में प्रवाहित करें।)
दान का समय- रात्रि।
हवन हेतु समिधा- दूर्वा।
औषधि स्नान- कस्तूरी, गजदंत, लोबान मिश्रित जल से।
अशुभ प्रभाव कम करने हेतु अन्य उपयोगी उपाय।
* बुधवार से प्रारंभ करके 7 दिनों तक काले कुत्ते को मीठी रोटी दें।
* सीसे (धातु) के 8 टुकड़े बहते जल में प्रवाहित करें।
* भिखारियों को काले अथवा चितकबरे कंबल दान करें।
* पक्षियों को दाना डालें।
* 3 या 5 मूली बुधवार या शनिवार को शिव मंदिर में चढ़ाएं।
* नित्य दुर्गा कवच का पाठ करें।
* चांदी का ठोस चौकोर टुकड़ा सदैव अपने पास रखें।
* राहु यंत्र को पंचधातु के पत्र पर उत्कीर्ण करवाकर नित्य पूजा करें।
-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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साभार : ज्योतिष : एक रहस्य