रत्नों से भी संभव हैं कई बीमारियों के उपचार, जानिए नवग्रहों के प्रमुख रत्न

Webdunia
stones n health

- शालिनी शर्मा
 
चिकित्सा केवल दवाई से होना चाहिए यह बात प्राचीन मान्यता के खिलाफ ही है। औषधि तो हमारी जीवन शक्ति (रेजिस्टेंस पॉवर) को कम ही करती है। योग, प्राणायाम, स्वमूत्र चिकित्सा, मक्खन, मिश्री (धागेवाली), तुकमरी मिश्री (अत्तारवालों के पास उपलब्ध होती है), धातु- सोना, चांदी, तांबा तथा लोहे के पानी से सूर्य-रश्मि चिकित्सा पद्धति (रंगीन शीशियों के तेल एवं पानी से), लौंग तथा मिश्री से चिकित्सा- ऐसे अनेक सरलतम साधन हैं, जिनसे बिना दवाई के हमारे शरीर का उपचार हो सकता है।
 
आज भी गौमूत्र चिकित्सा, अंकुरित चने-मूंग तथा मैथी दाने भोजन में लेने से, अधिक पानी पीने से आदि ये सभी ऐसे प्रयोग हैं, जिनसे यथाशीघ्र ही लाभ होता है। एक-एक गमले में एक-एक मुठ्ठी गेहूं छोड़कर एक-एक दिन छोड़कर सात गमलों में जुआरे बोए जाएं। इन जुआरों के रस से टी.बी., कैंसर जैसी बीमारियों को भी दबाया जा सकता है। इसी प्रकार हमारे ऋषि-मुनियों ने रत्नों से भी कई बीमारियों के उपचार ज्योतिषी शास्त्र में बताए हैं। ये हमारे देश की ज्योतिष विद्या का एक अद्भुत चमत्कार ही है।
 
रत्नों में प्रमुख 9 ग्रह के ये रत्न प्रमुख हैं :
 
1. सूर्य-माणिक,
2. चंद्र-मोती,
3. मंगल-मूंगा,
4. बुध-पन्ना,
5. गुरु-पुखराज,
6. शुक्र-हीरा,
7. शनि-नीलम,
8. राहू-लहसुनिया,
9. केतु-लाजावत।
 
मेष, सिंह व धनु राशि वाले कोई भी नग पहनें तो चांदी में पहनना जरूरी है, क्योंकि चांदी की तासीर ठंडी है।
 
इसी प्रकार कर्क, वृश्चिक, मीन, कुंभ इन राशि वालों को सोने में नग धारण करना चाहिए तथा मंगल का नग तांबे में धारण करना चाहिए क्योंकि इन धातुओं की तासीर गरम है तथा राशियों की तासीर ठंडी है।
 
इसके कारण इन तासीर वालों को जो शीत विकार होते हैं, उनको जल्दी ही लाभ होगा। धातु का लाभ 50 प्रतिशत होगा, रत्नों का लाभ शत-प्रतिशत होगा।
 
यदि शुद्ध रत्न खरीदने का सामर्थ्य नहीं हो तो उनकी जगह धातु को पानी में उबाल कर एक लीटर पानी को उबालकर 250 ग्राम करके उस पानी को पीना भी लाभ देगा तथा उसके इसी प्रकार के तैयार किए हुए तेल से मालिश भी विशेष लाभप्रद सिद्ध होगी।
 
स्वास्थ्य उत्तम रखने के लिए यदि सामर्थ्य हो तो 12 महीने शरीर पर मालिश करके स्नान करना चाहिए।
 
रत्न विज्ञान के अनुसार हजारों वर्षों से वैद्य रत्नों की भस्म और हकीम रत्नों की षिष्टि प्रयोग में ला रहे हैं। रसराज समुच्चय के अनुसार, हीरे में विशेष गुण यह है कि रोगी यदि जीवन की अंतिम सांस ले रहा हो, ऐसी अवस्था में हीरे की भस्म की एक खुराक से चैतन्यता आ जाती है। 
 
आइए जानें कैसे होगा रत्न से रोगों के उपचार :-
 
* हीरे की भस्म से क्षयरोग, जलोदर, मधुमेह, भगंदर, रक्ताल्पता, सूजन आदि रोग दूर होते हैं। हीरे में वीर्य बढ़ाने की शक्ति है। पांडु, जलोदर, नपुंसकता रोगों में विशेष लाभकारी सिद्ध होती है।
 
* माणिक्य भस्म शरीर मे उष्णता और जलन दूर करती है। यह रक्तवर्धक और वायुनाशक है। उदर शूल, चक्षु रोग और कोष्ठबद्धता में भी इसका प्रयोग होता है और इसकी भस्म नपुंसकता को नष्ट करती है।
 
* कैल्शियम की कमी के कारण उत्पन्न रोगों में मोती बहुत लाभकारी होता है। मुक्ता भस्म से क्षयरोग, पुराना ज्वर, खांसी, श्वास-कष्ट, रक्तचाप, हृदयरोग में लाभ मिलता है।
 
* मूंगे को केवड़े में घिसकर गर्भवती के पेट पर लेप लगाने से गिरता हुआ गर्भ रुक जाता है। मूंगे को गुलाब जल में बारीक पीसकर छाया में सुखाकर शहद के साथ सेवन करने से शरीर पुष्ट बनता है। खांसी, अग्निमांद्य, पांडुरोग की उत्कृष्ट औषधि है।
 
* पन्ना, गुलाब जल या केवड़े के जल में घोटकर उपयोग में आता है। यह मूत्र रोग, रक्त व्याधि और हृदय रोग में लाभदायक है। पन्ने की भस्म ठंडी मेदवर्धक है, भूख बढ़ाती है, दमा, मिचली, वमन, अजीर्ण, बवासीर, पांडु रोग में लाभदायक है।
 
* श्वेत पुखराज को गुलाबजल या केवड़े में 25 दिन तक घोटा जाए और जब यह काजल की तरह पिस जाए तो इसे छाया में सुखा लें। यह पीलिया,आमवात, खांसी, श्वास कष्ट, बवासीर आदि रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है। श्वेत पुखराज की भस्म विष और विषाक्त कीटाणुओं की क्रिया को नष्ट करती है।
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है)

ALSO READ: श्रीकृष्ण के सखा मधुमंगल, जिसके लिए बने माखनचोर

ALSO READ: ब्रह्मा के मानस पुत्र ऋषि पुलह की थीं 5 पत्नियां

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

2025 में रक्षाबंधन पर नहीं होगा भद्रा का साया, पंचक भी नहीं बनेंगे बाधक, वर्षों बाद बना है ऐसा शुभ संयोग, जानिए राखी बांधने के श्रेष्ठ मुहूर्त

राहु और मंगल का षडाष्टक योग क्या होगा 12 राशियों का राशिफल

रक्षा बंधन का त्योहार कब है, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

क्या सच हो रही बाबा वेंगा की भविष्यवाणी? धरती की ओर आ रहा ‘दानव’, नासा भी हैरान

सावन में शिवजी को कौनसे भोग अर्पित करें, जानें 10 प्रमुख चीजें

सभी देखें

नवीनतम

03 अगस्त 2025 : आपका जन्मदिन

03 अगस्त 2025, रविवार के शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन की तैयारियां: घर को सजाने से लेकर मिठाइयों तक

फ्रेंडशिप डे/ मित्रता दिवस के 5 खास उपाय, बनी रहेगी दोस्ती के रिश्तों में मिठास

13 सितंबर 2025 तक 3 राशियों को रहना होगा संभलकर

अगला लेख