गुरु का राशि परिवर्तन

(राहु के साथ युति)

भारती पंडित
ND
नौ दिसंबर 08 को गुरु धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर राशि में राहु पहले से ही विद्यमान है, अत: गुरु का राहु के साथ आना मकर राशि में चांडाल योग निर्मित कर रहा है। आइए देखें, गुरु के राशि परिवर्तन का ‍विविध राशियों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है-

मेष : दशम स्थान में बन रहे चांडाल योग के कारण कार्यक्षेत्र में प्रति‍स्पर्धा निर्मित होगी। विरोधी सक्रिय होंगे। संचित धन में कमी हो सकती है। तथापि मई 09 के बाद प्रभाव में वृद्धि होगी।
वृषभ : गुरु का नवम गोचर नीच राशि का होने से विशेष राहत वाला नहीं रहेगा। उतार-चढ़ाव बने रहेंगे। निराशावादी विचार प्रभावी रहेंगे। स्वास्थ्य कष्ट भी रहेगा। परिश्रम के बाद ही संतोषजनक परिणाम बनेंगे।

मिथुन : अष्टम भाव में गुरु की नीच राशि में राहु के साथ युति स्वास्थ्य कष्ट के संकेत देती है। दाँतों और कानों में कष्ट होगा। पैतृक संपत्ति विवादित हो सकती है। कर्मक्षेत्र ठीक रहेगा, मगर जिम्मेदारियाँ बढ़ेंगी।

कर्क : सप्तम स्थान में गुरु-राहु का गोचर जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद बनाएगा। संतुलन बनाए रखें। प्रापर्टी खरीद, धन संचय के योग बनेंगे। नया कार्य शुरू न करें। व्यर्थ चिंता व भय से बचें।

सिंह : छठे अर्थात रोग स्थान में गुरु-राहु का भ्रमण शत्रुओं की वृद्धि करेगा। पेट की बीमारी से कष्ट संभावित। जिम्मेदारियाँ बढ़ेंगी। कार्यकुशलता बढ़ानी होगी।

कन्या : पंचम में गोचर मिश्रित फल देगा। तनाव व खर्च बढ़ेगा। वात विकार, वाहन प्रयोग में तकलीफ संभावित है। बच्चों की चिंता रह सकती है। आय बढ़ेगी मगर व्यय भी होगा।

तुला : राहु-गुरु का चतुर्थ से गोचर जमीन के सौदे में हानि निर्मित कर सकता है। मगर प्रबल शनि का साथ लाभ देता रहेगा। कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा। व्यापार में कुछ परेशानियाँ संभव है।

वृश्चिक : गुरु का गोचर पराक्रम में होने से भाई-बहनों से अनबन-कष्ट, आर्थिक उतार-चढ़ाव, वैवाहिक जीवन में भी मतभेद, परिश्रम का फल न मिलना जैसे प्रभाव रहेंगे। सिर में दर्द, वातरोग संभव है।

धनु : द्वितीय में गुरु-राहु की युति धनहानि के संकेत देती है। परिवार में आर्थिक व मा‍नसिक कष्ट रहेगा। शनि की अनुकूल स्थिति अवश्य सहयोग करेगी।

मकर : गुरु राहु की लग्न में युति भावनात्मक संबंधों में कष्ट मानसिक अस्थिरता, निराशावादी विचार देगा। स्वास्थ्य के लिए बहुत सतर्कता रखना चाहिए।

कुंभ : गुरु का गोचर ठीक है मगर राहु की युति होने से स्वास्थ्य कष्ट रहेगा। व्यसनों से दूर रहें। संपत्ति प्राप्त होगी। सामान्य कष्टों के बाद कार्यसिद्ध होंगे। यात्राएँ अधिक होंगी। वाहन सावधानी से चलाएँ।

मीन : गुरु-राहु का आय में गोचर धन, व्यापार की दृष्टि से अनुकूल, मगर स्वास्थ्य हेतु ठीक नहीं है। व्यय भी बढ़ेगा।

विविध राशियों हेतु जप-दा न

मेष : शनि का जप-दान, गुरु की सेवा।

वृषभ : हनुमान चालीसा का पाठ, सरस्वती पूजन।

मिथुन : गुरु का जप-दान, अपाहिजों को दान।

कर्क : शिव चा‍लीसा का पाठ, राहु के मंत्र का जाप।

सिंह : शनि-राहु की शांति कराएँ।

कन्या : शनिवार को काली वस्तु का दान, भैरव उपासना।

तुला : राहु का जप-दान, दुर्गा चालीसा का पाठ।

वृश्चिक : राहु-शनि का जप-दान, काली वस्तु का दान।

धनु : विष्णु सहस्रनाम का पाठ, पीली वस्तु का दान।

मकर : हनुमानजी की आराधना, अपाहिजों को दान।

कुंभ : दुर्गा चालीसा का पाठ, राहु का जप-दान।

मीन : शनि का जप-दान, विष्णु-लक्ष्मी का पूजन।

विशेष : गुरु के इन प्रभावों की गणना केवल नीच राशि में गुरु की राहु के साथ युति के आधार पर की गई है। गोचर में ग्रहों के स्थान परिवर्तन के कारण शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।
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