मेष लग्न: कन्या राशि पर साढ़ेसाती-6

प्रभाव व बचाव जानें

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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मेष लग्न में शनि की साढ़ेसाती सिंह पर शनि के आने से प्रथम ढैया का प्रारंभ हो जाता है। प्रथम साढ़ेसाती में शनि अपने पिता सूर्य की राशि में होता है जो शनि की शत्रु राशि है। इस ढा़ई वर्ष में पढा़ई में मन नहीं लगता, संतान को कष्ट, प्रेम संबंधित मामलों में कष्ट रहता है। मानसिक चिंता भी घेरे रहती है।

अगर विवाहित हैं तो अपने जीवन साथी की सलाह लेकर चले काफी रहत पाएँगे। आर्थिक मामलों में कष्ट जरूर रहेगा लेकिन पूर्ति भी होगी। वाणी से नम्र होना ही लाभ का सौदा रहेगा, कुटुंब के व्यक्तियों का सहयोग मिलेगा। शनि की दूसरी साढ़ेसाती बुध की राशि कन्या पर मित्र होने से शत्रु पक्ष से राहत पाएँगे, नाना-मामा का सहयोग मिलेगा व रूका पैसा मिलने की उम्मीद रहेगी।

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इस समय वाहनादि सावधानी से चलाएँ, स्वास्थ का ध्यान अवश्य रखें। चोट आदि लगने का डर रहेगा या लग भी सकती है। बाहरी मामलों में संभल कर चलें, यात्रा में भी सावधानी रखें। यदि आप विदेश में रहते हैं तो काफी सावधानी रखें। भाईयों का सहयोग मिलेगा, शत्रु कष्ट से बचे रहेंगे।

शनि का अंतिम ढैया सप्तम भाव पर शुक्र की राशि तुला पर उच्च के शनि होने से अविवाहितों का विवाह होगा, जीवन साथी की हालत में सुधार पाएँगे। पिता का सहयोग भी रहेगा, आय के मामलों मे सफलता मिलेगी। दैनिक व्यवसाय से जुडे व्यक्ति भी लाभान्वित होंगे।
तृतीय भाग्य भाव पर सम दृष्टि पडने से भाग्य में मिले-जुले परिणाम रहेंगे। लग्न पर नीच दृष्टि पडने से मानसिक बैचेनी भी महसूस करेंगे, स्वास्थ नरम-गरम रहेगा। किसी भी तरह का कोई जोखिम ना लेवें। शनि की दशम दृष्टि चतुर्थ भाव पर सम पडने से पारिवारिक मामलों में सम स्थिति बनी रहेगी। मकान सबंधित चर्चा हो सकती है।

- यदि किसी को शनि का कुप्रभाव रहे तो वो प्रति शनिवार एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर अपना मुँह देखें व वह तेल किसी - डाकोतिया या माँगनें वाले को दें। काला कम्बल एक दिन उपयोग करके किसी वृद्घ को दे दें।
- नौ बादाम बहते जल में बहावें।
- शनि की साढे़साती के समय जितनी बार शनि अमावस्या आवें उस समय काला सुरमा एक शीशी में भरकर अपने ऊपर से नौ बार उतार कर कही सुनसान जगह गाड़ देवें। इस प्रकार शनि पिड़ा कम होगी।
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