विविध राशियों में स्थित केतु का प्रभाव

कुंडली में मौजूद केतु से जानें फलादेश

पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे
NDND
प्रत्येक ग्रह परिभ्रमण करते हुए द्वादश राशियों पर विराजमान रहते हैं। मेष से मीन तक। केतु किस राशि पर स्थित है तो क्या प्रभाव देगा, जानिए ।

मेष : यदि केतु जातक की कुंडली में मेष राशि पर विराजमान है तो भौतिकवादी, धन संग्रह करने वाला, स्वार्थी, लोभी, चंचल बहुभाषी
सुखी के साथ जातक के चेहरे पर चेचक के दाग होंगे।

वृषभ : वृषभ राशि पर यदि केतु स्थित है, तो जातक तीर्थ में धार्मिक पर्वों में रु‍चि लेने वाला, आलसी, उदार, दानी तथा जात क परोपकारी होता है।

मिथुन : मिथुन राशि पर यदि केतु स्थित है, तो वात्-विकारी, अल्पसंतोषी, दम्भी, अल्पायु, प्रभावशाली संगीतज्ञ, व्यवहार कुशल, विद्वान के समान व्यक्तित्व होगा।

कर्क : कर्क राशि पर यदि केतु स्थित है तो धननाशक, अध्यात्मवादी, परिश्रमी, दूसरे का ध्यान केंद्रित करने वाला, कफ से पीड़ित के
साथ, प्रेत बाधा के योग जातक को होते हैं।

NDND
सिंह : सिंह राशि पर यदि केतु विराजमान है, तो बहुभाषी डरपोक असहिष्णु और उच्च गुणों वाला होता है। इसी के साथ विविध कला में निपुण, विद्वान होता है।

कन्या : कन्या राशि पर केतु स्थित है, तो जातक बीमार रहने वाला, धन नाशक के साथ मूर्ख, अल्पबुद्धि एवं शरीर से कमजोर रहता
है।

तुला : तुला राशि में केतु स्थित है तो कामी, क्रोधी, दुखी, हणी, असंतोषी एवं जातक को कुष्ठ रोग होने की पूर्ण स्थि‍ति बनती है।

वृश्चिक : वृश्चिक राशि में केतु स्थित हो तो क्रोधी, कुष्ठ रोगी, धूर्त, वाचाल, निर्धन के साथ व्यसन करने वाला होता है।

धनु : धनु राशि में विराजमान है तो जातक मिथ्‍यावादी, आदर्शवादी, चंचल, धनी, यशस्वी आस्तिक के साथ तीर्थ में प्रेम रखने वाला
होता है।

मकर : मकर राशि में हो तो व्यापार करने वाला, चंचल, तेजस्वी के साथ गूढ़ रहस्य को जानने वाला जातक में गुण होता है।

कुंभ : कुंभ राशि में हो तो भौतिकवादी मध्यम, अथवा साधारण धनी, खर्च करने वाला, भ्रमण प्रिय एवं कामी प्रवृत्ति का होता है।

NDND
मीन : मीन राशि पर विराजमान है तो जातक सज्जन, कर्ण रोगी के साथ आलोकिक शक्तियों से परिपूर्ण सहयोग पाता है।

विशेष : व्यक्ति मात्र पृथ्वी पर सुख की खोज में लगा रहता है परंतु सिर्फ निराशा हाथ लगती है। परंतु मरने के बाद मोक्ष प्राप्ति देने अथवा कराने का निर्णय केतु ग्रह ही लेता है। केतु का प्रभाव सात वर्ष तक रहता है। भवन एवं भूमि संबंधित कार्य सफल करने के लिए जातक को गणेश जी का पूजन विधिवत तरीके से करना चाहिए। उसके पश्चात केतु का पूजन करना चाहिए।
Show comments

Makar sankranti Puja 2025: मकर संक्रांति के दिन की पूजा विधि और विशेष मुहूर्त

Mahakumbh 2025: प्रयागराज कुंभ मेले में जा रहे हैं तो इन 12 नियमों और 12 सावधानियों को करें फॉलो

क्या शनि के राशि परिवर्तन से फिर से शुरु होगा महामारी का दौर, दुनिया में फैला HMPV वायरस का डर

महाकुंभ में क्यों शुभ मानी जाती है महिला नागा साधुओं की उपस्थित, जानिए उनकी अनदेखी दुनिया के बारे में सबकुछ

मकर संक्रांति 2025 : पतंगबाजी के लिए घर पर इस तरह बनाएं रंग-बिरंगी Trendy DIY पतंगें

Aaj Ka Rashifal: 14 जनवरी मकर संक्रांति का राशिफल, जानें किसके लिए फलदायी रहेगा आज का दिन

14 जनवरी 2025 : आपका जन्मदिन

14 जनवरी 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

महाकुंभ का वैज्ञानिक महत्व

वर्ष 2025 में मकर संक्रांति कौन से वाहन पर सवार होकर आ रही है, क्या रहेगा उसका प्रभाव?