कर्ण पिशाचिनी साधना - प्रयोग 1

Webdunia
WD
एक अनोखी साधना है कर्ण पिशाचिनी। इस साधना को व्यक्ति स्वयं कभी संपन्न नहीं कर सकता। उसे विशेषज्ञों और सिद्ध गुरुओं के मार्गदर्शन से ही सीखा जा सकता है। स्वयं करने से इसके नकारात्मक परिणाम भी देखे गए हैं। इस साधना को सिद्ध करने के बाद साधक में वो शक्ति आ जाती है कि वह सामने बैठे व्यक्ति की नितांत व्यक्तिगत जानकारी भी जान लेता है।

ऐसा वह कैसे करता है? यह एक सहज सवाल है। वास्तव में इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस साधना में ऐसी शक्ति का प्रयोग होता है, जो मनुष्य नहीं है।

इस साधना की सिद्धि के पश्चात् किसी भी प्रश्न का उत्तर कोई पिशाचिनी कान में आकर देती है अर्थात् मंत्र की सिद्धि से पिशाच-वशीकरण होता है। मंत्र की सिद्धि से वश में आई कोई आत्मा कान में सही जवाब बता देती है। मृत्यु के उपरांत एक सामान्य व्यक्ति अगर मुक्ति ना प्राप्त करे तो उसकी क्षमताओं में आश्चर्यजनक वृद्धि हो जाती है।

पारलौकिक शक्तियों को वश में करने की यह विद्या अत्यंत गोपनीय और प्रामाणिक है। आलेख पढ़ने वाले हर शख्स को गंभीर चेतावनी दी जाती है कि इसे अकेले आजमाने की कतई कोशिश ना करें अन्यथा मन-मस्तिष्क पर भयावह असर पड़ सकता है।
  एक अनोखी साधना है कर्ण पिशाचिनी। इस साधना को व्यक्ति स्वयं कभी संपन्न नहीं कर सकता। उसे विशेषज्ञों और सिद्ध गुरुओं के मार्गदर्शन से ही सीखा जा सकता है। स्वयं करने से इसके नकारात्मक परिणाम भी देखे गए हैं।      


साधना की छोटी से छोटी गलती आपके जीवन पर भारी पड़ सकती है। कर्ण पिशाचिनी मंत्र के सात प्रयोग हैं। प्रस्तुत है पहला प्रयोग। अन्य प्रयोग समयानुसार वेबदुनिया के इसी कॉलम में देख सकते हैं।

प्रयोग 1
यह प्रयोग निरंतर ग्यारह दिन तक किया जाता है। सर्वप्रथम काँसे की थाली में सिंदूर का त्रिशूल बनाएँ। इस त्रिशूल का दिए गए मंत्र द्वारा विधिवत पूजन करें। यह पूजा रात और दिन उचित चौघड़िया में की जाती है।

गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएँ और 1100 मंत्रों का जाप करें। रात में भी इसी प्रकार त्रिशूल का पूजन करें। घी एवं तेल दोनों का दीपक जलाकर ग्यारह सौ बार मंत्र जप करें।

इस प्रकार ग्यारह दिन तक प्रयोग करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध हो जाती है। तत्पश्चात् किसी भी प्रश्न का मन में स्मरण करने पर साधक के कान में ‍पिशाचिनी सही उत्तर दे देती है।

सावधानियाँ :
एक समय भोजन करें।
* काले वस्त्र धारण करें।
* स्त्री से बातचीत भी वर्जित है। (साधनाकाल में)
* मन-कर्म-वचन की शुद्धि रखें।

मंत् र
।।ॐ नम: कर्णपिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीता नागतवर्त मानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय-कथय ह्यीं कर्ण पिशाचिनी स्वहा।।

चेतावनी - वेबदुनिया पाठकों को गंभीर परामर्श देता है कि इस मंत्र का दुरुपयोग न करें।
- इस मंत्र को अज्ञानतावश आजमाने की कोशिश न करें।
- यह अत्यंत गोपनीय एवं दुर्लभ मंत्र है। इसे किसी सिद्ध पुरुष एवं प्रकांड विद्वान के मार्गदर्शन में ही करें।
- इस मंत्र को सिद्ध करने में अगर मामूली त्रुटि भी होती है तो इसका घोर नकारात्मक असर हो सकता है।

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Shani ka gochar: दशहरे के ठीक 1 दिन बाद होगा शनि का नक्षत्र परिवर्तन, 3 अक्टूबर से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन

Solar Eclipse 2026: वर्ष 2026 में कब होगा सूर्य ग्रहण, कहां नजर आएगा और क्या होगा इसका समय?

Sharad purnima 2025: कब है शरद पूर्णिमा, क्या करते हैं इस दिन?

karva cahuth 2025: करवा चौथ पर छन्नी से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा, इस दिन क्यों सीधे नहीं देखना चाहिए चंद्रमा

मासिक धर्म के चौथे दिन पूजा करना उचित है या नहीं?

सभी देखें

नवीनतम

Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में कैसे रखें खीर, जानें सही प्रक्रिया और पारंपरिक विधि

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (06 अक्टूबर, 2025)

06 October Birthday: आपको 6 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 06 अक्टूबर, 2025: सोमवार का पंचांग और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (05 अक्टूबर, 2025)