7 नवंबर को है अंगारक चतुर्थी, इस दिन जरूर पढ़ें मयूरेश स्तोत्र

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जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए गणपति जी को सबसे पहले याद किया जाता है। परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और चहुँओर प्रगति, चिंता व रोग निवारण के लिए गणेशजी का मयूरेश स्तोत्र सिद्ध एवं तुरंत असरकारी माना गया है। राजा इंद्र ने मयूरेश स्तोत्र से गणेशजी को प्रसन्न कर विघ्नों पर विजय प्राप्त की थी। इसका पाठ किसी भी चतुर्थी पर फलदायी है लेकिन अंगारक चतुर्थी पर इसे पढ़ने से फल सहस्त्र गुना बढ़ जाता है।
 
विधि : 
* सबसे पहले स्वयं शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें  
* यदि पूजा में कोई विशिष्‍ट उपलब्धि की आशा हो तो लाल वस्त्र एवं लाल चंदन का प्रयोग करें
* पूजा सिर्फ मन की शांति और संतान की प्रगति के लिए हो तो सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। सफेद चंदन का प्रयोग करें। 
* पूर्व की तरफ मुंह कर आसन पर बैठें। 
* ॐ गं गणपतये नम: के साथ गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें।
 
* निम्न मंत्र द्वारा गणेशजी का ध्यान करें। 
 
* 'खर्वं स्थूलतनुं गजेंन्द्रवदनं लंबोदरं सुंदरं 
प्रस्यन्दन्मधुगंधलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्
दंताघातविदारितारिरूधिरै: सिंदूर शोभाकरं 
वंदे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम।'
 
- फिर गणेशजी के 12 नामों का पाठ करें। 
 
- किसी भी अथर्वशीर्ष की पुस्तक में 12 नामों वाला मंत्र आसानी से मिल जाएगा। (12 नाम हिंदी में भी स्मरण कर सकते हैं) 
- आपकी सुविधा के लिए मंत्र - 
- 'सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक: 
लंबोदरश्‍च विकटो विघ्ननाशो विनायक : 
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजानन: 
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणयादपि 
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमें तथा संग्रामेसंकटेश्चैव विघ्नस्तस्य न जायते' 
 
- गणेश आराधना के लिए 16 उपचार माने गए हैं। 
 
1. आवाहन 2. आसन 3. पाद्य (भगवान का स्नान‍ किया हुआ जल) 4. अर्घ्य 5. आचमनीय 6. स्नान 7. वस्त्र 8. यज्ञोपवित 9 . गंध 10. पुष्प (दुर्वा) 11. धूप 12. दीप 13. नेवैद्य 14. तांबूल (पान) 15. प्रदक्षिणा 16. पुष्‍पांजलि  
 
मयूरेश स्त्रोतम् ब्रह्ममोवाच 
- 'पुराण पुरुषं देवं नाना क्रीड़ाकरं मुदाम। 
मायाविनं दुर्विभाव्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ।। 
परात्परं चिदानंद निर्विकारं ह्रदि स्थितम् ।
गुणातीतं गुणमयं मयूरेशं नमाम्यहम्।। 
सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया। 
सर्वविघ्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम्।। 
नानादैव्या निहन्तारं नानारूपाणि विभ्रतम। 
नानायुधधरं भवत्वा मयूरेशं नमाम्यहम्।। 
सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरे विभुम्। 
सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम्।। 
पार्वतीनंदनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम्। 
भक्तानन्दाकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम्। 
मुनिध्येयं मुनिनुतं मुनिकामप्रपूरकम। 
समष्टिव्यष्टि रूपं त्वां मयूरेशं नमाम्यहम्।। 
सर्वज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम्। 
सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम्।। 
अनेककोटिब्रह्मांण्ड नायकं जगदीश्वरम्। 
अनंत विभवं विष्णुं मयूरेशं नमाम्यहम्।। 
 
मयूरेश उवाच 
 
इदं ब्रह्मकरं स्तोत्रं सर्व पापप्रनाशनम्। 
सर्वकामप्रदं नृणां सर्वोपद्रवनाशनम्।। 
कारागृह गतानां च मोचनं दिनसप्तकात्। 
आधिव्याधिहरं चैव मुक्तिमुक्तिप्रदं शुभम्।। 
 
गणपति आराधना में रखी जाने वाली सावधानियां 
* गणेश को पवित्र फूल ही चढ़ाया जाना चाहिए। 
* जो फूल बासी हो, अधखिला हो, कीड़ेयुक्त हो वह गणेशजी को कतई ना चढ़ाएं। 
* गणेशजी को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता। 
* दूर्वा से गणेश देवता पर जल चढ़ाना पाप माना जाता है।   

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