नर्मदा जयंती 1 फरवरी 2020 को, पढ़ें मां नर्मदा के पवित्र मंत्र

Webdunia
पुण्या कनखले गंगा कुरुक्षेत्रे सरस्वती।
ग्रामेवा यदि वारण्ये पुण्या सर्वत्र नर्मदा।
त्रिभि:सारस्वतं पुण्यं सप्ताहेनतुयामुनम्।
सद्य:पुनातिगाङ्गेयंदर्शनादेवनर्मदाम्।
 
गंगा हरिद्वार तथा सरस्वती कुरुक्षेत्र में अत्यंत पुण्यमयी कही गयी है, किंतु नर्मदा चाहे गांव के बगल से बह रही हो या जंगल के बीच, वे सर्वत्र पुण्यमयी हैं। सरस्वती का जल तीन दिनों में, यमुनाजी का एक सप्ताह में तथा गंगाजी का जल स्पर्श करते ही पवित्र कर देता है किन्तु नर्मदा का जल केवल दर्शन मात्र से पावन कर देता है। 
 
स्कन्दपुराणके अनुसार नर्मदा का पहला अवतरण आदिकल्पके सत्ययुग में हुआ था। दूसरा अवतरण दक्षसावर्णिमन्वन्तर में हुआ। तीसरा अवतरण राजा पुरुरवाद्वारा वैष्णव मन्वन्तर में हुआ। नर्मदा में स्नान करने, गोता लगाने, उसका जल पीने तथा नर्मदा का स्मरण एवं कीर्तन करने से अनेक जन्मों के घोर पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं। नर्मदा समस्त सरिताओं में श्रेष्ठ है। वे सम्पूर्ण जगत् को तारने के लिये ही धरा पर अवतीर्ण हुई हैं। इनकी कृपा से भोग और मोक्ष, दोनों सुलभ हो जाते हैं।
 
भगवती नर्मदा की उपासना युगों से होती आ रही हैं। मेरुतंत्र में नर्मदा देवी के निम्न मंत्र का उल्लेख है-
 
ऐं श्रींमेकल-कन्यायैसोमोद्भवायैदेवापगायैनम:।
 
इस मंत्र के ऋषि भृगु, छन्द अमित और देवता नर्मदा हैं। उनके अधिदैविक स्वरूप का ध्यान इस प्रकार करें- 
 
कनकाभांकच्छपस्थांत्रिनेत्रांबहुभूषणां।
पद्माभय:सुधाकुम्भ:वराद्यान्विभ्रतींकरै:।
 
पद्मपुराणके स्वर्गखंड में देवर्षिनारद भगवती नर्मदा की स्तुति करते हुए कहते हैं- 
 
नम: पुण्यजलेआद्येनम: सागरगामिनि।
नमोऽस्तुतेऋषिगणै:शंकरदेहनि:सृते।
नमोऽस्तुतेधर्मभृतेवराननेनमोऽस्तुतेदेवगणैकवन्दिते।
नमोऽस्तुतेसर्वपवित्रपावनेनमोऽस्तुतेसर्वजगत्सुपूजिते। 
 
पुण्यसलिला नर्मदा तुम सब नदियों में प्रधान हो, तुम्हें नमस्कार है। सागरगामिनी तुमको प्रणाम है। ऋषि-मुनियों द्वारा पूजित तथा भगवान शंकर की देह से प्रकट हुई नर्मदे तुम्हें बारंबार नमस्कार है। सुमुखितुम धर्म को धारण करने वाली हो, तुम्हें प्रणाम है। देवगण तुम्हारे समक्ष मस्तक झुकाते हैं, तुम्हें नमस्कार है। देवि तुम समस्त पवित्र वस्तुओं को भी परम पावन बनाने वाली हो, सारा संसार तुम्हारी पूजा करता है, तुम्हें बारंबार नमस्कार है। 
 
नर्मदा जी का जितना भी गुण-गान किया जाए कम ही होगा। इनका हर कंकर शंकर की तरह पूजा जाता है। नर्मदा का स्वच्छ निर्मल जल पृथ्वी का मानों अमृत ही है। माघ मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को शास्त्रों में नर्मदा जयंती कहा गया है।
 
"पुरा शिव शांत तानुश्य चार विपुलं तपः हितार्थ सर्व लोकानाभूमाया सह शंकर"
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

lunar eclipse 2025: वर्ष 2025 में कब लगेगा चंद्र ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा

Makar Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मकर राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

Dhanu Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: धनु राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

सभी देखें

नवीनतम

27 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Family Life rashifal 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की गृहस्थी का हाल, जानिए उपाय के साथ

Health rashifal 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की सेहत का हाल, जानिए उपाय के साथ

मार्गशीर्ष माह के हिंदू व्रत और त्योहारों की लिस्ट

अगला लेख