चैत्र नवरात्र में मनोकामना पूर्ति के लिए यह तेजस्वी मंत्र जपें

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
चैत्र नवरात्र का तंत्र मंत्र में विशेष महत्व माना गया है। अकसर तांत्रिक लोग किसी सिद्ध पीठ मे जाकर नौ दिनों तक तंत्र साधना करते हैं। सामान्यज न भी इन दिनों मंत्र की सिद्धि कर सकते हैं। दिए गए किसी भी मंत्र का अनुष्ठान करने से शीघ्र सफलता मिलती है।



 
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शत्रु अधिक परेशान करते हैं तो मां बगुलामुखी की साधना कर उन्हें परास्त किया जा सकता है इसमें साधना काल के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पीले वस्त्रों का प्रयोग करना अनिवार्य होता है। 
 
पीली हल्दी की माला, पीले पुष्प व पीला आसन प्रयोग करना चाहिए। एक निश्चित समय पर ही मंत्रानुष्ठान करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है-ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।
 
इस प्रकार मंत्र जाप करने से घोर शत्रु भी अनुकूल हो जाता है।
 
अगले पेज पर : किसी को अपना बनाना है तो जपें यह मंत्र 
 

 

किसी को अनुकूल बनाना हो तो वशीकरण मंत्रों का प्रयोग कर सकते हैं 
 
मंत्र इस प्रकार है- कामिया सिन्दूर-मोहन मंत्र
 
“हथेली में हनुमंत बसै, भैरु बसै कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बांध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊं तुझे।
तेल सिन्दूर कहां से आया? कैलास-पर्वत से आया।
कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला-तीनों बसै कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए।
सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुरु, सत् कबीर।
 
विधि- 'सिन्दूर' पर नवरा‍त्रि से लगातार सात रविवार तक उक्त मंत्र का 108 बार जप करें। इससे मंत्र सिद्ध हो जाएगा। प्रयोग के समय सिन्दूर पर 7 बार उक्त मंत्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाए। ‘टीका’ लगाकर जहां जाएंगे, सभी वशीभूत होंगे।
 
अगले पेज पर : आकर्षण का केन्द्र बनना चाहते हैं तो... 
 
 

सर्वजग सम्मोहन तंत्र-
 
नवरात्रि के दिनों तुलसी के चूर्ण में सहदेई के रस को मिलाकर माथे पर तिलक करें। यदि ऐसा तिलक करके आप किसी सभा अथवा पार्टी में जाएंगे तो सभी आपसे प्रभावित रहेंगे। यदि आप किसी एक व्यक्ति को ही आकर्षित करना चाहते हैं तो भी उसके सम्मुख यही टीका लगाकर जाएं।
 
अतिआवश्यक हो ने पर ही इस मंत्र का प्रयोग करें-
 
आकर्षण एवं वशीकरण के तेजस्वी सूर्य मंत्र  
 
'ॐ नमो भगवते श्रीसूर्याय ह्रीं सहस्रकिरणाय ऐं अतुलबलपराक्रमाय नवग्रह दश दिक्पाल लक्ष्मीदेवताय, धर्मकर्मसहितायै (यहां पर जिसे अनुकूल बनाना हो उस का नाम लें) नामनी नाथय नाथय, मोहय मोहय, आकर्षय आकर्षय, दासानुदासं कुरु कुरु, वश कुरु कुरु स्वाहा।' 
 
विधि- सूर्यदेव का ध्यान करते हुए उक्त मंत्र का 1008 बार प्रति 9 दिन तक जप करने से ‘आकर्षण’ का कार्य सफल होता है।
 
 मंत्र भलाई के लिए होते हैं, किसी को क्षति पहुंचाने के लिए नहीं, यदि कोई किसी के नुकसान के लिए प्रयोग करता है तो सबसे पहले उसी का नुकसान होता है क्योंकि मन की शक्ति सबसे बड़ी होती है।

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