रक्षाबंधन पर किए जाते हैं अनोखे टोटके, जरूर पढ़ें

पं. उमेश दीक्षित
रक्षाबंधन का पावन पर्व इस बात का शुभ प्रतीक है कि रिश्तों में विश्वास, सम्मान और मिठास बनी रहे। इस अवसर पर कुछ विशेष पूजन भी किया जाता है। कई क्षेत्रों में इस दिन अपने ग्रह दोष निवारण संबंधी उपाय भी आजमाए जाते हैं। आइए जाने कुछ प्रमुख और सरल टोटके : - 


 
















(1) जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि नीच या शत्रु राशि में या खराब स्थान पर बैठा हो, वे काले पत्थर के चौकोर टुकड़े पर शनि यंत्र खड़िया से बनाकर अपने से पर से 8 बार उतारकर कुएं में फेंक दें। फिर कभी उस कुएं का जल नहीं पीएं।
 
 


 


(2) कांच की एक बोतल में सरसों का तेल भरकर उसे कांच के कंचे से ही बंद कर अपने पर से उतारकर बहते जल के नीचे दबाएं। 
 

 


 



(3) राहु खराब होने की स्थिति में 11 नारियल पानी वाले अपने परसे उतारकर बहते जल में डालें। 
 
 


 


(4) चन्द्र खराब होने की स्थिति में दूध से चन्द्र को अर्घ्य देकर वहीं बैठकर 'ॐ सोमेश्वराय नम:' का यथाशक्ति जप करें। दूध का दान करें।
 

 

 


(5) जिन्हें कालसर्प दोष हो, वे सर्प पूजन करें तथा चांदी की डिब्बी में शहद भरकर वीराने में गाड़ें।
 
 


 


(6) माता सरस्वती का मंत्र 'ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:' स्फटिक की माला पर यथाशक्ति जपें, लाभ होगा। चंद्र एवं राहु की शांति होगी।
 
 


 


(7) शत्रु शांति के लिए हनुमानजी को चोला चढ़ाएं तथा गुड़ का नेवैद्य, गुलाब के पुष्प चढ़ाएं। 
 
 


 


(8) ऐसा कोई पौधा, जो किसी वटवृक्ष के नीचे लगा हो, घर में लाकर गमलें में लगाएं, समृद्धि बढ़ेगी।
 
 


 


(9) नजर दोष हो तो फिटकरी का टुकड़ा नजर लगे व्यक्ति पर से उतारकर चूल्हे में जला दें, दोष दूर होगा।
 
 


 


(10) किसी व्यक्ति ने पैसा लिया तो है, लेकिन दे नहीं रहा। सूखे कपूर से काजल पाड़ें तथा एक कागज पर उसका नाम लिखकर भारी पत्‍थर के नीचे दबा दें, लाभ होगा। 
 
 


 


(11) यदि घर में आए दिन दुर्घटना होती हों तो काली या महाकाली यंत्र को घर में छुपाकर स्थापित कर दें।
 
 


 


(12) विवाह न हो रहा हो तो पुराना ताला जो खुला हो तथा खराब भी न हो, चाभी अपने पास रख लें तथा अपने से पर से उतारकर रात्रि में चौराहे पर फेंक दें, पलटकर न देखें। 
 
 

 


(13) बीमारी ठीक न हो रही हो तो रात्रि में कुछ हलुवा पत्तल पर रखकर रोगी पर से 11 बार उतारकर चौराहे पर रख दें या रात्रि में एक दिन पहले कोई सिक्का रोगी के सिरहाने रख दें। सुबह श्मशान में फेंक दें। 

 
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