अनिष्ट का भय सताए तो हनुमान जी का यह दिव्य उपाय आजमाएं

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यदि मन विचलित है और अज्ञात भय सता रहा है तो अनिष्टों से रक्षा तथा भय से मुक्ति के लिए निम्नलिखित मंत्र का जप करना चाहिए। साधारण शब्दों का यह छोटा-सा मंत्र अद्भुत प्रभाव देने वाला दिव्य मंत्र है। इसके जप से गंभीर से गंभीर अनिष्टों से रक्षा होती है। 
 
यह है अद्भुत प्रभाव देने वाला छोटा-सा मंत्र - 
 
मंत्र - आसन बांधू, वासन बांधू, बांधू अपनी काया। चारि खूंट धरती के बांधू हनुमत! तोर दोहाई।। 
 
मंत्र की प्रयोग विधि :- हनुमानजी के मंदिर के समीप स्थित बरगद या पीपल के वृक्ष की छोटी-छोटी चार टहनियां ले लें और उसी मंदिर में हनुमानजी के समक्ष रखकर उक्त मंत्र की एक माला (108 बार) का जप करें और टहनियां घर ले आएं। अगले दिन पुनः उन टहनियों को लेकर उसी मंदिर में जाएं, 108 बार उक्त मंत्र का जप करें और पुनः वापस ले आएं। ऐसा हनुमान जयंती से 16 दिन तक करें। सत्रहवें दिन उन टहनियों को अपने घर, दुकान या कार्यालय के चारों दिशाओं में गाड़ दें। 
 
ध्यान रहें कि एक बार में सिर्फ चार टहनियां ही अभिमंत्रित करें। यह प्रयोग स्वयं करें, किसी अन्य व्यक्ति से न कराएं। 
 
इसके अलावा हनुमानजी को लाल धागे में बनी लाल फूलों की माला चढ़ाएं। फिर वहीं मंदिर में बैठकर उक्त मंत्र का तीन हजार दो सौ (3200) बार जप करें। फिर उस माला से फूलों को सावधानी से निकाल कर मंदिर की दहलीज पर रख दें और लाल धागा घर ले आएं। रात्रि में 10 बजे के बाद उक्त धागे में सात बार बारी-बारी से मंत्र बोलकर सात गांठ लगाएं। फिर इस माला को हाथ अथवा गले में धारण करें, आपकी समस्त संकटों से रक्षा होगी। 
 
उपाय- एक नींबू, पांच साबुत सुपारियां, एक हल्दी की गांठ, काजल की डिबिया, 16 साबुत काली मिर्च, पांच लौंग तथा रुमाल के आकार का लाल कपड़ा लेकर घर या मंदिर में एकांत में बैठ जाएं। उक्त मंत्र का 108 बार जप करके उक्त सामग्री को लाल कपड़े में बांध लें। इस पोटली को घर या दुकान के मुख्य द्वार पर लगा दें, संकटों से मुक्ति मिलेगी। 
 
इस प्रयोग से कर्मचारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है और स्थायित्व भी आ जाता है।

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