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जड़ी-बूटियों के 10 चमत्कारिक टोटके

Webdunia
सोमवार, 4 अप्रैल 2016 (00:02 IST)
जड़ी-बूटियां बहुत चमत्कार‍िक होती है। यह जहां स्वास्थ्य के लिए हितकारी है वहीं इनके कई चमत्कारिक प्रयोग भी प्राचीनकाल से किए जाते रहे हैं। तांत्रिक कर्म में भी जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है और इसके चमत्कारिक लाभ का दावा किया जाता है। हालांकि इसमें कितनी सचाई है यह हम नहीं जानते। आप किसी जानकार से पूछकर ही यह प्रयोग करें। यहां सिर्फ जानकारी हेतु।
 
लाभदायक 10 चमत्कारिक पौधे, जानिए कौन से..
 
हम आपको बताने वाले हैं ऐसी जड़ी-बूटियों के ऐसे 10 प्रयोग के बारे में जिनको जानकर आप सचमुच ही हैरान रह जाएंगे। आपके जीवन की कोई भी समस्या हो उसका समाधान तुरंत ही हो जाएगा। धन, यक्ष, कीर्ति, विजय, शां‍ति, पदोन्नती, कर्जमुक्ति तो पाएंगे ही साथ ही हर तरह के संकटों से भी मुक्त हो जाएंगे।  
 
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धन-समृद्धि हेतु :
*हरसिंगार का बांदा:- हरसिंगार के बांदे को लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखेंगे तो धन का अभाव समाप्त हो जाएगा।
* शंखपुष्पी की जड़:- शंखपुष्पी की जड़ रवि-पुष्य नक्षत्र में लाकर इसे चांदी की डिब्बी में रख कर घर की तिरोरी में रख लें। यह धन और समृद्धि दायक है।
* बहेड़ा की जड़ : पुष्य नक्षत्र में बहेड़ा वृक्ष की जड़ तथा उसका एक पत्ता लाकर पैसे रखने वाले स्थान पर रख लें। इस प्रयोग से घर में कभी भी दरिद्रता नहीं रहेगी।
* मदार की जड़ : रविपुष्प नक्षत्र में लाई गई मदार की जड़ को दाहिने हाथ में धारण करने से आर्थिक समृधि में वृद्धि होती हैं।
* दूधी की जड़ : सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।
* बरगद का पत्ता : अश्लेषा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखें। भंडार हमेश भरा रहेगा। इसके अलाव धन हेतु बरगद अथवा बड़ के ताजे तोड़े पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक बना कर पुष्य नक्षत्र में घर में रखें।
*श्वेत अपराजिता : श्वेत अपराजिता का पौधा दरिद्रनाशक माना जाता है। श्वेत आंकड़ा, शल और लक्ष्मणा का पौधा भी श्वेत अपराजिता के पौधे की तरह धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम है। इसके सफेद या नीले रंग के फूल होते हैं। जीवक नाम का पौधा भी ऐश्वर्यदायिनी होता है।
 
*सफेद पलाश का पौधा : पलाश अक्सर पीला और सिंदूरी होता है, लेकिन सफेद पलाश बहुत ही दुर्लभ माना गया है। लोगों का मानना है कि यह फूल चमत्कारी होता है। लोग इसे श्रद्घा और विश्वास के साथ घर लाकर पूजन कक्ष में स्थापित करते हैं। तंत्र शास्त्र में इस वृक्ष के फूल से यंत्र बनाने का प्रयोग बताया गया है, जो धन लक्ष्मी के लिए कारगर बताया गया है।
 
* धतूरे की जड़ : धतूरे की जड़ के कई तां‍त्रिक प्रयोग किए जाते हैं। इसे अपने घर में स्थापित करके महाकाली का पूजन कर 'क्रीं' बीज का जाप किया जाए तो धन सबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।  
 
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शत्रुनाश हेतु : 
*नीम का बांदा:- नीम के बांदे को अपने दुश्मन से स्पर्श करा दें तो उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं।
*चमेली की जड़ : अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे। विष्णुकांता का पौधा भी शत्रुनाशक होता है।
*बरगद का बांदा:- यह बांदा बाजू में बांधने से हर कार्य में सफलता मिलती है और कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता।
*मंगल्य : मंगल्य नामक जड़ी भी तांत्रिक क्रियानाशक होती है। 
* धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
 
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भूतादि ग्रह बाधा निवारक : भोजपत्र ग्रह बाधाएं निवारक होता है। इसके अलावा अनार का बांदा गुंजा भूदादि नाशक होती है।
* बहेड़ा की जड़ : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर पर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।
*अनार का बांदा:- बांदे को रखने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती और न ही भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश होता है।
*श्‍वेत, रक्त और काली गुंजा: यह जड़ी भूत एवं पिशाचनाशक, नजरदोष, वशीकरणनाशक मानी गई है। इसके अलावा तापसद्रुम को भी भूतादि ग्रह निवारक माना गया है। गुंजा तीन रंगों की होती है। सफेद गुंजा का प्रयोग तंत्र तथा उपचार में होता है, न मिलने पर लाल गुंजा भी प्रयोग में ली जा सकती है। परंतु काली गुंजा दुर्लभ होती है।
*काले धतूरे की जड़:- इसका पौधा सामान्य धतूरे जैसा ही होता है, हां इसके फूल अवश्य सफेद की जगह गहरे बैंगनी रंग के होते हैं तथा पत्तियों में भी कालापन होता है। इसकी जड़ को रविवार, मंगलवार या किसी भी शुभ नक्षत्र में घर में लाकर रखने से घर में ऊपरी हवा का असर नहीं होता, सुख -चैन बना रहता है तथा धन की वृद्धि होती है। 
 
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यश प्राप्ति हेतु : 
*आम का बांदा:- इस पेड़ के बांदे को भुजा पर धारण करने से कभी भी आपकी हार नहीं होती और विजय प्राप्त होती है।
* हत्था जोड़ी : यह विशेषतौर पर वशीकरण के लिए होती है। माना जाता है कि हत्था जोड़ी को अपने पास रखने से लोग आपको सम्मान देने लगते हैं।
*उटकटारी:- यदि आप राजनीति के क्षेत्र में तरक्की करना चाहते हैं तो यह जड़ी राजयोग दाता है। इस पौधे को बहुत से लोगों ने देखा होगा। इसके प्रभाव से व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है। लेकिन इस पौधे को विधिपूर्वक लाकर पूजा करना होती है।
 
रक्तगुंजा की जड़:- रक्तगुंजा को लगभग सभी लोग जानते होंगे। इसे रत्ती भी कहते हैं क्योंकि इसका वजन एक रत्ती के बराबर होता है और किसी समय इससे सोने की तौल की जाती थी। इस पौधे की जड़ रवि पुष्य के दिन, किसी भी शुक्रवार को अथवा पूर्णिमा के दिन निर्मल भाव से धूप-दीप से पूजन कर उखाड़ें और घर में लाकर गाय के दूध से धो कर रख दें। इस जड़ का एक भाग अपने पास रखने से सारे कार्य सिद्ध होते हैं। मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
 
करे सौदर्शनं बध्वा राजप्रियो भवेत्।
सिंही मूले हरेत्पुष्ये कटि बध्वा नृपप्रिय:।
हाथ में सुदर्शन की जड़ बांधें। तो राजा प्रिय होता है अथवा कांकरासिंही की जड़ पुष्य नक्षत्र में लाकर कमर में बाँधें तो राजा (मंत्री, अधिकारी) वश में होता है अथवा राजा का प्रिय हो जाता है।
 
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पितृदोष और दुष्टात्मा निवारण हेतु :
अगस्त्य : इसके पौथे को पितृदोषनाशक माना गया है। अगस्त्य का पौधा मिलना मुश्किल होता है। अगस्त्य के फूल सफेद अथवा गुलाबी रंग के होते हैं, जो शीत ऋतु में लगते हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगस्त्य पेड़ शरीर से विषैले तत्वों को निकालने का काम भी करता है। इसके पंचांग (फूल, फल, पत्ते, जड़ व छाल) रस और सब्जी के रूप में प्रयोग होते हैं। इस पेड़ में आयरन, विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम व कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
मयूर शिका : मयूर शिका या मोर शिखा को दुष्टात्मानाशक माना गया है। इस पौधे का फूल मोर या मुर्गे के शिखा जैसा दिखता है। इसलिए इसे 'मुर्गे का फूल' या 'मयूर शिखा' कहते हैं। यह पौधा घर के अन्दर और बाहर समान रूप से उगाया जा सकता है। इस पौधे का उपयोग प्रायः सजाने के लिए किया जाता है। इसकी पत्तियां और फूल सब्जी के रूप में भी प्रयुक्त होते हैं।
 
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नजरदोष मुक्ति हेतु: 
* चंपा की जड़ : हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें। इस उपाय से बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।
*अनार का बांदा:- अनार बांदे को रखने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती और न ही भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश होता है।
 
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विवाह हेतु :
बेला : विवाह की समस्या दूर करने के लिए बेला के फूलों का प्रयोग किया जाता है। इसकी एक और जाति है जिसको मोगरा या मोतिया कहते हैं। बेला के फूल सफेद रंग के होते हैं। मोतिया के फूल मोती के समान गोल होते हैं। महिला को गुरु की जड़ और पुरुष को शुक्र की जड़ अपने पास रखनी चाहिए।
 
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कोर्ट कचहरी में विजयी हेतु : 
* मदार की जड़ : कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।
* हत्था जोड़ी : हत्था जोड़ी का मुकदमा, शत्रु संघर्ष, दरिद्रता आदि के निवारण में इसका प्रयोग किया जाता है। तांत्रिक विधि में इसके वशीकरण के उपयोग किए जाते हैं।
 
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वशीकरण हेतु :
अपामार्ग के प्रयोग : अपामार्ग बाजीकरण के काम में आती है। इसके भी कई प्रयोग हैं। एक प्रयोग यह है कि अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे।
* संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर ताबीज में जड़ दे और इसे गले में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आपसे आकर्षित होने लगेंगे।
 
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अनावश्यक भय से मुक्ति ‍:
*नागर बेल का पत्ता : यदि घर में किसी वस्तु की चोरी हो गई हो, तो भरणी नक्षत्र में नागर बेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर व सुपारी डालकर चोरी वाले स्थान पर रखें, चोरी की गई वस्तु का पला चला जाएगा।
*आंवले का बांदा:- आंवले का बांदा भुजा में बांधने से चोर, डाकू, हिंसक पशु का भय नहीं रहता।
* तुलसी की जड़ : पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर धारण करें। इससे अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।
 
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मनोकामना पूर्ती हेतु
*अपराजिता की बेल : अपने घर में अपराजिता की बेल को उगाएं, उसे रोज धुप दें कर 'ॐ महालक्ष्मी वान्छितार्थ पूरय पूरय नमःका जाप 108 बार करें तो हर तरह की मनोकामना की पूर्ति होगी।
*बेर का बांदा:- बेर के बांदे को लाल कपड़े में बांधकर धारण कर लें। इस प्रकार आप जो भी इससे मांगेंगे वह सब आपको प्राप्त होगा।
 
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संतानोत्पत्ति हेतु : यह उपाय किसी जानकार से पूछकर ही करें।
* नीबू की जड़ : उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं। इस प्रयोग से उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
* काले एरंड की जड़ : श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें। इस प्रयोग से उसे संतान की प्राप्ति होगी।
* लटजीरा : लटजीरा की जड़ को जलाकर भस्म बना लें। उसे दूध  के साथ पीने से संतानोत्पति की क्षमता आ जाती हैं।  
* लक्ष्मणा बूटी: गांवों में इसे गूमा कहते हैं। संतानहीन स्त्री, स्वस्थ एवं निरोगी हैं, तो वह श्वेत लक्ष्मण बूटी की 21 गोली बना लें, इसे गाय के दूध के साथ लगातार प्रात: एक गोली 21 दिन तक खाए, तो संतान लाभ मिलता हैं।
* विल्व पत्र : अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूघ निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है।
* मदार की जड़ :रविपुष्प में उसकी मदार की जड़ को बंध्या स्त्री भी कमर में बंधे तो संतान होगी।

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