साधारणतया 36 यक्षिणियां हैं तथा उनके वर देने के प्रकार अलग-अलग हैं। यहां 32 मंत्रों की विशेष जानकारी दी जा रही है। अन्य मंत्र अत्यंत गोपनीय है। इन मंत्रों की यक्षिणियां रंग, रूप, प्रेम, सुख, ऐश्वर्य, सौभाग्य, सफलता, संपन्नता, वैभव, पराक्रम, रिद्धि-सिद्धि, धन-धान्य, संतान सुख, रत्न जवाहरात, मनचाही उपलब्धियां, राज्य प्राप्ति और भौतिक ऐश-ओ-आराम देती है। शत्रु भय दूर करती हैं। आत्मविश्वास और सौन्दर्य से भरपूर कर देती हैं।
(1) सुर सुंदरी यक्षिणी- मंत्र निम्नलिखित है-
'ॐ ह्रीं आगच्छ सुर सुंदरी स्वाहा।'
गुग्गलादि की धूप, लाल चंदन के जल से अर्घ्य तथा तीनों संध्याओं में पूजन तथा जप मासभर की जाती है। घर पर एकांत में साधना होती है।
(2) मनोहारणी यक्षिणी- मंत्र निम्नलिखित है।
'ॐ ह्रीं आगच्छ मनोहारी स्वाहा।'
नदी के संगम पर एकांत में अगर-तगर की धूप लगातार जलती रहे तथा महीने भर साधना रात्रि में की जाती है। स्वर्ण मुद्राएं प्रदान की करती हैं।