जन्मकुंडली में पितृदोष हो तो उसकी शांति के लिए श्रीकृष्ण-मुखामृत गीता का पाठ करना चाहिए। प्रेतशांति व पितृदोष निवारण के लिए भी श्रीकृष्ण चरित्र की कथा, श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ पौराणिक विद्वान ब्राह्मणों से करवाना चाहिए।
ग्रह शांति व सभी ग्रहों द्वारा किए जा रहे सर्वविध उपद्रव शमनार्थ 'नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र की 1008 आहुतियां देनी चाहिए।
यह मंत्र प्राय: सभी ग्रहों की शांति के लिए उपयोग में लाया जाता है।
शारीरिक ऊर्जा, मानसिक शांति व आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन प्रात: या सायं 16 बार निम्न मंत्र का जप करना चाहिए -
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे/ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।'
भगवान श्रीकृष्ण का मूलमंत्र, जिसे द्वादशाक्षर मंत्र कहते हैं -