प्रेतात्मा को भगाने की क्रियाएँ

- डॉ. हरिकृष्ण देवसरे

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आत्मा-प्रेतात्मा होती है ? क्या मंत्र-शक्ति से किसी को बेहोश किया जा सकता है ? आजकल टेलीविजन चैनलों पर प्रायः ऐसे विषयों पर कार्यक्रम दिखाए जाते हैं जबकि ये कार्यक्रम केवल अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं । प्रेतात्मा को भगाने की क्रियाएँ झूठी होती हैं। इसी तरह अखबारों में भी 'बंगाली बाबा', 'बंगाली बादशाह', 'बंगाली पीर' आदि नामों से विज्ञापन छपते हैं।

ये लोग दावा करते हैं कि ये न होने वाले काम पूरे करा देंगे जैसे - नौकरी न मिलती हो, लड़की का ब्याह न होता हो, मुकदमे में जीत या परीक्षा में सफलता न मिलती हो आदि। इन परेशानियों से निजात पाने के लिए दुखी लोग इन बाबाओं के पास जाते हैं और बाबा इनसे काम के बदले मोटी रकम ऐंठ कर चंपत हो जाते हैं। ये बाबा लोग तरह-तरह के चमत्कार दिखाकर लोगों में अपने प्रति विश्वास जगाते हैं, जैसे तस्वीर से राख झड़ना, सिक्के को राख में बदलना आदि। सच तो यह है कि ये सब केवल वैज्ञानिक चमत्कार होते हैं और कुछ नहीं।

यहाँ 'प्रेत बाधा' दूर करने की कुछ तरकीबों की पोल खोली गई है : -

मंत्र-शक्ति का चमत्कार : मंत्र-शक्ति से हवन-कुंड में अग्नि जलाकर प्रेत बुलाने और हवन की आग में उसे जलाने की तरकीब 'बाबा' दर्शकों पर अपनी चमत्कारी शक्ति का प्रभाव सिद्ध करने के लिए करते हैं। एक बाबा ने अपने एक 'ग्राहक' की प्रेतबाधा दूर करने के लिए हवन किया। लोगों ने देखा कि बाबा ने हवन-कुंड में सूखी लकड़ियाँ रखीं और मंत्र पढ़ा। फिर थैले से एल्यूमिनियम की बनी एक तावीज निकाली। पास ही उसका 'भक्त ग्राहक' बैठा था। बाबा ने वह ताबीज उसकी बाँह में बाँध दिया। हवन शुरू हुआ। बाबा ने मंत्र के नाम पर कुछ भी बोलना शुरू किया।

उसने हवन कुंड की तलहटी में पहले ही लोगों की नजर बचाकर पोटैशियम परमैगनेट का पाउडर डाल दिया था। उसी पर सूखी लकड़ियाँ रख दी। फिर मंत्र पढ़ते-पढ़ते झोले से घी का डिब्बा निकालकर हवन-कुंड में घी डाला। घी डालते ही हवन कुंड जल उठा। फिर तो बाबा ने पूरे जोश में मंत्र पढ़कर, मोरपंखों के झाड़ू से भूत को भगाया और ग्राहक के सिर को झाड़ा। लोग आश्चर्यचकित थे कि बाबा ने मंत्रों से आग जला दी।

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फिर बाबा ने कहा- 'ताबीज खोल दो। देखो भूत के जलने की राख वहाँ पड़ी होगी।' और ताबीज खोलकर देखी गई तो सचमुच बाँह पर थोड़ी-सी राख थी। 'बाबा की 'जय-जयकार' होने लगी। सच तो यह है कि बाबा ने हवन-कुंड में घी नहीं, ग्लिसरीन डाली थी। पोटैशियम परमैगनेट पर ग्लिसरीन पड़ने से आग जल उठती है। इसी तरह उसने एल्यूमिनियम के तावीज के एक तरफ मरक्यूरिक क्लोराइड लगा दी थी। जब एम्यूमिनियम मरक्यूरिक क्लोराइड के संपर्क में आता है तो उससे भभूति जैसा पदार्थ बनता है। उसे ही प्रेत की राख कहकर बाबा ने लोगों को भ्रमित किया। 'मरक्यूरिक क्लोराइड' जहरीला पदार्थ है। इसका प्रयोग सावधानी से करें।

नारियल में बंद प्रेतात्मा : बाबा ने ग्राहक को एक सूखा नारियल देकर कहा कि इसे रात को तकिए के पास रखकर सो जाना और कल ले आना। तुम्हें सताने वाली प्रेतात्मा इसमें बंद हो जाएगी। फिर मंत्र पढ़कर नारियल दे दिया। अगले दिन ग्राहक नारियल लेकर आया। शिष्यों के सामने नारियल रखकर बाबा ने कहा- 'अब इसमें बंद प्रेतात्मा को मैं जलाकर नष्ट करूँगा।'

उसने मंत्र पढ़ने का नाटक करके नारियल पर पानी के छींटे मारना शुरू किया तो नारियल से धुआँ उठने लगा जिसे देख लोग समझे कि प्रेतात्मा जलकर भाग रही है। बाबा ने नारियल की जटाओं में सोडियम के टुकड़े पहले से ही फँसाकर लगा दिए थे। सोडियम पर पानी डालने से आग जल उठती है। बस उसी को बाबा ने प्रेतात्मा भगाना कहा और ग्राहक से रुपए ठगे।

प्रेतात्मा का खून : एक गीले नारियल की आँख में छेद करके पोटैशियम परमैगनेट के कुछ टुकड़े डाल दिए और मोम से आँख बंद कर दी। अब बाबा ने वह नारियल ग्राहक को दे दिया।

अगले दिन मंत्र से प्रेतात्मा को मार डालने का नाटक करते हुए जब नारियल फोड़ा तो उसमें से लाल पानी दिखाकर बाबा ने उसे प्रेतात्मा का खून बताया। और इस तरह भक्त की प्रेत बाधा दूर की। अतः ऐसे चमत्कारी बाबाबों से सावधान रहें और हो सके तो इनकी पोल खोलें ताकि लोगों का अंधविश्वास दूर किया जा सके।

प्रेतात्मा को भगाने की क्रियाएँ झूठी होती हैं । बाबा लोग तरह-तरह के चमत्कार दिखाकर लोगों में अपने प्रति विश्वास जगाते हैं जबकि सच तो यह है कि ये सब केवल वैज्ञानिक चमत्कार होते हैं और कुछ नहीं।
( लेखक 'पराग' के पूर्व संपादक और प्रसिद्ध बाल साहित्यकार हैं)

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