शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। इस बार 8 जून 2013 को आ रही है। इस दिन को शनि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन शनि से पीड़ित व्यक्तियों के लिए दान का महत्व बढ़ जाता है।
शनि से प्रभावित व्यक्ति कई प्रकार के अनावश्यक परेशानियों से घिरे हुए रहते हैं। कार्य में बाधा का होना, कोई भी कार्य आसानी से न बनना जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है।
इस समस्या को कम करने हेतु शनिचरी अमावस्या के दिन शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना उत्तम रहता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में शनि का कुप्रभाव हो उन्हें शनि के पैरों की तरफ ही देखना चाहिए, जहां तक हो सके शनि दर्शन से भी बचना चाहिए।
किसी ने सच ही कहा है कि शनि जाते हुए अच्छा लगता है ना कि आते हुए। शनि जिनकी पत्रिका में जन्म के समय मंगल की राशि वृश्चिक में हो या फिर नीच मंगल की राशि मेष में हो तब शनि का कुप्रभाव अधिक देखने को मिलता है। बाकि की राशियां सिर्फ सूर्य की राशि सिंह को छोड़ शनि की मित्र, उच्च व सम होती है।
शनि-शुक्र की राशि तुला में उच्च का होता है। शनि का फल स्थान भेद से अलग-अलग शुभ ही पड़ता है। सम में ना तो अच्छा ना ही बुरा फल देता है। मित्र की राशि में शनि मित्रवत प्रभाव देता है। शत्रु राशि में शनि का प्रभाव भी शत्रुवत ही रहता है, जो सूर्य की राशि सिंह में होता है।
शनि के अशुभ प्रभाव को कैसे करें कम
शनि मंत्र का जप भी किया जाए तो काफी हद तक शनि के कुप्रभाव से बचा जा सकता है।
मंत्र इस प्रकार है- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः। शनि देव न्यायप्रिय राजा हैं। अगर आप बुरे काम नहीं करते हैं किसी से धोखा, छल-कपट आदि नहीं करते हैं तो इस ग्रह से डरने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि शनिदेव सज्जनों को तंग नहीं करते।