सरस्वती मंत्र : सरल मंत्र से करें मां की आराधना

देवी सरस्वती का मूल मंत्र

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वीणावादिनी, शुभ्रवसना, मंद-मंद मुस्कुराती हंस पर विराजमान मां सरस्वती के पूजन से मानव जीवन का अज्ञान रूप दूर होकर ज्ञान का प्रकाश प्राप्त होता है। भारतीय धर्म शास्त्रों में देवी-देवता के पूजन एवं स्तुति के लिए कई प्रकार के मंत्र रचा गए है। यह मंत्र विशेष रूप मां सरस्वती को प्रसन्न करने का अद्‍भुत उपाय है।

जब भी कोई परीक्षा देने जाए तब इस मंत्र को सच्चे मन से मां सरस्वती का स्मरण कर 7 बार पढ़ें। सरस्वती पूजन के समय यह श्लोक पढ़ने से मां की असीम कृपा प्राप्त होती है। अगर समयाभाव हो तो मा‍त्र एक बार भी घी का दीपक जलाकर पढ़ा जा सकता है।

मां सरस्वती का श्र्लोक :-
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।

जो लोग सरस्वती के कठिन मंत्र का जप नहीं कर सक‍ते उनके लिए प्रस्तुत है मां सरस्वती का सरल अष्टाक्षर मंत्र। इस मंत्र का पाठ नित्य करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है। यह मंत्र देवी सरस्वती का मूल मंत्र है : -

* 'शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।'

* श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।

* ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

- जब भी देवी सरस्वती की पूजा करें तथा भोग अर्पित करें तो इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। यह मंत्र हर विद्यार्थी को परीक्षा दिलाने में और उनकी बुद्धि को पढ़ाई में एकाग्रता लाने का कार्य कर‍ता है।

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